क्या पुतिन का दौरा भारत-रूस के संबंधों में नया अध्याय लिखेगा?
सारांश
Key Takeaways
- पुतिन का दौरा भारत-रूस संबंधों में एक नया अध्याय रचेगा।
- भरोसा ही इन देशों की दोस्ती का मूल आधार है।
- न्यूक्लियर एनर्जी, दवा, और अंतरिक्ष जैसे विषयों पर चर्चा संभव है।
दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा एक नया अध्याय रचेगा, ऐसा मानते हैं पूर्व राजदूत दीपक वोहरा। यह दौरा उस समय हो रहा है जब पूरी दुनिया में अस्थिरता और उथल-पुथल का माहौल है। दीपक वोहरा ने भारत और रूस के संबंधों पर अपने विचार साझा किए।
पूर्व राजदूत ने बातचीत में कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के साथ व्लादिमीर पुतिन की यह 17वीं या 18वीं बैठक होगी। भरोसा से बड़ा कोई दोस्त नहीं होता। अब तक भारत और रूस ने एक-दूसरे के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं किया जिससे दूसरे को चोट पहुंचे। यही हमारी दोस्ती का आधार है।"
पुतिन के दौरे से जुड़े विषयों पर उन्होंने कहा कि न्यूक्लियर एनर्जी पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा हो सकती है। इसके अलावा दवा और अंतरिक्ष समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय बैठक में वार्ता संभव है।
रूस और अमेरिका के संबंधों पर दीपक वोहरा ने कहा, "जो अमेरिका अपने दोस्तों को बताता है, उन्हें भी वह अपनी तकनीक पूरी तरह नहीं देता।" पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, "इस देश के पास कुछ पुराने अमेरिकी जहाज थे, लेकिन जब उनमें खराबी आई, तब अमेरिकी टीम उन्हें ठीक करने आई, लेकिन उन्होंने कभी कमियों के बारे में नहीं सिखाया।"
रूस से तेल खरीदने पर अमेरिकी चेतावनी को लेकर पूर्व राजदूत ने कहा कि हमारे अपने हित सबसे पहले हैं। अमेरिका के कहने पर तेल खरीद बंद नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाए, जिसके बाद कई लोगों ने कहा हमारी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी, लेकिन आंकड़े दिखाते हैं कि भारत ने और अधिक विकास किया है।"
दीपक वोहरा ने कहा, "मैं डोनाल्ड ट्रंप से अनुरोध करता हूँ कि भारत पर 50 नहीं, 500 प्रतिशत टैरिफ लगाएं, फिर देखिए हम अपनी आर्थिक व्यवस्था को कैसे उभारते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका जितना टैरिफ लगाएगा, दूसरे देशों के साथ भारत की दोस्ती उतनी ही मजबूत होती जाएगी।
पुतिन के भारत दौरे पर सवाल उठाने वाले देशों को जवाब देते हुए दीपक वोहरा ने कहा, "यूरोप और अमेरिका की दौरे पर ध्यान है। कई देशों की छवि खत्म हो चुकी है, लेकिन उनकी अकड़ नहीं गई है।" उन्होंने इसे आंतरिक विषय बताते हुए कहा कि अन्य शक्तियों को इसमें दखल देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।