क्या वोट देने के अधिकार से लोगों को वंचित नहीं होने देंगे: अमीक जमई?

सारांश
Key Takeaways
- अमीक जमई का कहना है कि वोट देने का अधिकार सभी का है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त के बयान पर चिंता व्यक्त की गई।
- बिहार में वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए।
- भाजपा के इरादों पर संदेह व्यक्त किया गया।
- आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए।
लखनऊ, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता अमीक जमई ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने पूछा था कि क्या मृत मतदाताओं को वोट डालने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम किसी को भी वोट देने के अधिकार से वंचित नहीं होने देंगे।
गुरुवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में सपा प्रवक्ता ने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त का यह सवाल कि क्या मृत वोटरों को लिस्ट में रखा जाए, न केवल चौंकाने वाला है बल्कि इसमें गंभीरता भी है। क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में इन मृत वोटरों ने भाजपा को वोट दिया, और अगर भाजपा जीती, तो क्या कार्रवाई होगी?
उन्होंने कहा कि बिहार में वोटर वेरिफिकेशन के नाम पर पहले आयोग ने कहा कि वोटर रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं, और अब कह रहे हैं कि वोटर लिस्ट में मृत वोटर हैं। आयोग को पहले एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए।
अमीक जमई ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में आयोग की चोरी को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उजागर किया था। अगर हमें ढाई लाख वोट मिलते, तो सपा 89 सीटें जीत जाती। इसी तरह, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 50 लाख मतदाताओं के वोट काटे जा रहे हैं।
तेजस्वी यादव के चुनाव को बॉयकॉट करने वाले बयान पर उन्होंने कहा कि यह बयान महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि जब 50 लाख मतदाताओं के नाम ही काट दिए जाएंगे, तो चुनाव कराने का क्या अर्थ रह जाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा भारत को उस काल में ले जाना चाहती है जहाँ कुछ लोगों को ही वोट देने का अधिकार हो। आयोग केवल भाजपा के दबाव में काम कर रहा है और अपनी निष्पक्षता खो चुका है।
सपा प्रवक्ता ने कहा कि बिहार केवल एक उदाहरण है। इसके बाद बंगाल, उत्तर प्रदेश सहित उन राज्यों में जहां आगामी विधानसभा चुनाव होने हैं, वोटर वेरिफिकेशन के नाम पर वोट काटे जाएंगे।