क्या वृंदावन स्थित मां कात्यायनी के इस मंदिर में पूजा करने से मिलता है मनचाहा पार्टनर? राधा-कृष्ण से जुड़ी है कथा

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क्या वृंदावन स्थित मां कात्यायनी के इस मंदिर में पूजा करने से मिलता है मनचाहा पार्टनर? राधा-कृष्ण से जुड़ी है कथा

सारांश

वृंदावन में मां कात्यायनी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख स्थल है। नवरात्र में यहां पूजा करने से मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने की मान्यता है। जानिए इस पवित्र स्थल की खासियत और राधा-कृष्ण की अद्भुत कथा।

Key Takeaways

  • मां कात्यायनी की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
  • नवरात्र के दौरान यहां विशेष पूजा होती है।
  • अविवाहितों के लिए सच्ची आराधना का स्थल है।
  • राधा-कृष्ण की कथा से जुड़ा हुआ है।

वृंदावन, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्र का पर्व शक्ति की साधना और देवी मां की आराधना का प्रतीक है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। मां कात्यायनी को साहस और विजय की देवी माना जाता है। मान्यता है कि इनकी आराधना करने से हर संकट टलता है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मां कात्यायनी का प्रसिद्ध मंदिर भगवान श्री राधा-कृष्ण की नगरी वृंदावन में स्थित है। वृंदावन के राधा बाग क्षेत्र में स्थित कात्यायनी पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहीं माता सती के केश गिरे थे। तभी से यह स्थल शक्ति आराधना का पवित्र केंद्र बन गया और इसे शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त हुआ।

मान्यता है कि वृंदावन के कात्यायनी पीठ में मां कात्यायनी के दर्शन और पूजा करने से भक्तों की हर इच्छा पूरी होती है। विशेषकर अविवाहित युवक-युवतियां यहां नवरात्र के दिनों में माता की आराधना करते हैं ताकि उन्हें मनचाहा वर या वधु प्राप्त हो सके। यह विश्वास है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां की आराधना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

गीता और पुराणों के अनुसार, राधा रानी और वृंदावन की गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की इच्छा से मां कात्यायनी की पूजा की थी। मां ने वरदान भी दिया, लेकिन भगवान एक और गोपियां अनेक थीं। ऐसे में भगवान कृष्ण ने वरदान को पूर्ण करने के लिए महारास रचा। शरद पूर्णिमा की रात, यमुना तट पर धवल चांदनी में भगवान कृष्ण ने अपने 16,108 रूप धारण किए और हर गोपी के साथ महारास किया। यह कथा आज भी भक्तों के बीच आस्था और चमत्कार का प्रतीक है।

हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र के अवसर पर कात्यायनी देवी मंदिर के समीप रंग जी के बड़े बगीचे में भव्य मेले का आयोजन होता है। इस मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं। खासकर अष्टमी के दिन यहां होने वाली आरती के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगता है। इस आरती को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

Point of View

जो इस स्थान की महिमा और धार्मिक महत्व को दर्शाता है। यह स्थान न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश भी प्रस्तुत करता है।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या मां कात्यायनी की पूजा से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है?
हां, मान्यता है कि यहां पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, विशेषकर अविवाहितों के लिए।
कात्यायनी पीठ का महत्व क्या है?
यह स्थल शक्ति आराधना का पवित्र केंद्र है और 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
कौन से त्योहार पर यह मंदिर विशेष रूप से भीड़भाड़ में रहता है?
नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की संख्या बहुत बढ़ जाती है।
क्या यहां मेले का आयोजन होता है?
जी हां, हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र के अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है।
कात्यायनी देवी की कथा क्या है?
राधा रानी और गोपियों ने मां कात्यायनी की पूजा की थी ताकि भगवान कृष्ण को पति रूप में प्राप्त कर सकें।