क्या वेस्ट वॉटर से विकास का नया मॉडल बनेगा, पर्यावरण संरक्षण के साथ जल उपलब्धता कैसे बढ़ेगी?
सारांश
Key Takeaways
- 2030 तक 50% वेस्ट वॉटर का पुनः उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
- 2035 तक 100% वेस्ट वॉटर का पुनः उपयोग किया जाएगा।
- जल संरक्षण और आर्थिक विकास के लिए एक ठोस नीति।
- तीन चरणों में कार्यान्वयन की योजना।
- भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित जल प्रबंधन।
लखनऊ, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत और 2035 तक 100 प्रतिशत वेस्ट वॉटर का सुरक्षित पुनः उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे इसे कृषि और उद्योग में उपयोग किया जा सकेगा।
इसके लिए एक व्यापक नीति, चरणबद्ध कार्य योजना और एक मजबूत क्रियान्वयन तंत्र तैयार किया गया है। यह पहल न केवल जल संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और टिकाऊ जल प्रबंधन की मजबूत नींव भी रखेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दृष्टिकोण के तहत, अब वेस्ट वॉटर को बोझ नहीं, बल्कि एक आर्थिक संसाधन के रूप में विकसित किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा बनाई जा रही नीति के तहत उपचारित जल का उपयोग नगर निकायों के कार्यों, उद्योग, कृषि और गैर-पेय घरेलू उपयोग में किया जाएगा। इससे भूजल पर दबाव कम होगा और पर्यावरण संतुलन मजबूत होगा।
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के परियोजना निदेशक जोगिंदर सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नदियों के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं। इसी के साथ योगी सरकार ने वेस्ट वॉटर प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है।
पहला चरण (2025–2030): जहां एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और संग्रहण की सुविधा पहले से मौजूद है, वहां 50 प्रतिशत वेस्ट वॉटर के पुन: उपयोग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
दूसरा चरण (2030–2035): इन क्षेत्रों में क्षमता विस्तार कर 100 प्रतिशत वेस्ट वॉटर के पुन: उपयोग को सुनिश्चित किया जाएगा।
तीसरा चरण (2045 तक): जहां अभी उपचार और संग्रहण की व्यवस्था नहीं है, वहां चरणबद्ध तरीके से 30 प्रतिशत, फिर 50 प्रतिशत और अंततः 100 प्रतिशत वेस्ट वॉटर के उपयोग की व्यवस्था विकसित की जाएगी।
सरकार की इस नीति का मुख्य उद्देश्य जल संसाधनों पर बढ़ते दबाव को कम करना, पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करना, और शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास सुनिश्चित करना है। यह योजना न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि आर्थिक रूप से भी राज्य के लिए दूरगामी फायदे लेकर आएगी।
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के परियोजना निदेशक जोगिंदर सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश लगातार जल संरक्षण और जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में उभर रहा है।
योगी सरकार अब वेस्ट वॉटर को विकास के संसाधन में बदलने जा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर शहरी, ग्रामीण और गैर-पेय उपयोग के लिए अलग-अलग योजना बनाई जा रही है। जल संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दिया जाएगा। सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जल प्रबंधन का मॉडल बनने जा रहा है।
--- राष्ट्र प्रेस
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