क्या है केसरल सिंड्रोम, जो ढाई दिनों में स्पेसएक्स के सैटेलाइट में शुरू हो सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- केसरल सिंड्रोम अंतरिक्ष में मलबे से जुड़ा गंभीर खतरा है।
- यह स्टारलिंक सैटेलाइट की समस्या से उत्पन्न हो सकता है।
- इंटरनेट और जीपीएस सेवाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
- इसका प्रभाव स्टॉक मार्केट और मौसम सेवाओं पर भी पड़ेगा।
- अंतरिक्ष में यात्रा पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं।
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। स्पेसएक्स का स्टारलिंक सैटेलाइट 17 दिसंबर को अपने नियंत्रण से बाहर हो गया। तब से यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में घूमता रहा है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए संभावना है कि इस सैटेलाइट में 2.8 दिनों में केसरल सिंड्रोम शुरू हो सकता है।
स्पेसएक्स ने जानकारी दी है कि यह कुछ ही दिनों में पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा और अंततः जलकर नष्ट हो जाएगा। सैटेलाइट संख्या 35956 ने 418 किलोमीटर की ऊँचाई पर नियंत्रण खोया था। इसके बाद प्रोपल्शन टैंक फट गया और गैस का रिसाव शुरू हो गया। इसके बाद इसकी ऊँचाई में चार किलोमीटर की कमी आई और छोटे मलबे बनने लगे। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस प्रकार की स्थिति में केसरल सिंड्रोम की शुरुआत हो सकती है।
इसका परिणाम पृथ्वी पर गंभीर नुकसान हो सकता है। स्टारलिंक जैसे सैटेलाइट से इंटरनेट सेवाएँ प्राप्त होती हैं; यदि केसरल सिंड्रोम हो गया, तो कई स्थानों पर इंटरनेट सेवा बाधित हो सकती है। जीपीएस और नेविगेशन पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। जीपीएस और नेविगेशन में समस्या बढ़ने से दुर्घटनाएँ भी बढ़ सकती हैं। स्टॉक मार्केट पर भी इसका असर पड़ सकता है। मौसम से संबंधित सैटेलाइट पर इसका प्रभाव पड़ेगा, जिससे मौसम संबंधी जानकारी में देरी हो सकती है।
युद्ध या आतंकवाद विरोधी गतिविधियों में भी परेशानियाँ उत्पन्न होंगी। नए स्पेस मिशन रुक सकते हैं। दशकों तक अंतरिक्ष में यात्रा करना मुश्किल हो सकता है। आइए जानते हैं कि केसरल सिंड्रोम क्या है।
केसरल सिंड्रोम एक गंभीर वैज्ञानिक खतरा है, जो अंतरिक्ष में कक्षागत मलबे के आपस में टकराने से उत्पन्न होता है। जब यह मलबा आपस में टकराता है, तो टकराने से हजारों छोटे टुकड़े बन जाते हैं। ये टुकड़े अन्य सैटेलाइट्स से टकराते हैं, जिससे एक चेन रिएक्शन (डोमिनो इफेक्ट) उत्पन्न होता है।