क्या यूपी में खाद की कालाबाजारी करने वालों की खैर नहीं है, अब लगेगा एनएसए?
सारांश
Key Takeaways
- योगी सरकार खाद की कालाबाजारी के खिलाफ कड़े कदम उठा रही है।
- खाद माफियाओं पर एनएसए के तहत कार्रवाई होगी।
- किसानों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
- डेली स्टॉक रिपोर्टिंग सिस्टम से पारदर्शिता बढ़ेगी।
- सरकार ने रबी सीजन के लिए खाद की कोई कमी नहीं होने का आश्वासन दिया है।
लखनऊ, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। योगी सरकार खाद की कालाबाजारी के मुद्दे पर बेहद गंभीर है। राज्य सरकार ने खाद की कालाबाजारी के खिलाफ अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई करते हुए स्पष्ट संदेश दिया है कि खेती और किसानों के हितों से जुड़ा कोई भी अपराध किसी भी स्थिति में सहन नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर खाद माफियाओं के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) जैसी कठोर कार्रवाई की जा रही है। सरकार का मानना है कि उर्वरकों की कालाबाजारी केवल आपूर्ति या प्रशासनिक लापरवाही का मामला नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर खाद्य सुरक्षा, किसान की आजीविका और प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है।
मुख्यमंत्री योगी ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि जो लोग किसानों को संकट में डालकर मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहे हैं, वे सिर्फ कानून नहीं तोड़ रहे, बल्कि देश और प्रदेश की खाद्य सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे लोगों को सामान्य अपराधी मानकर नहीं छोड़ा जाएगा। जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ एनएसए जैसी कठोर धाराएं लगाई जाएंगी, ताकि वे समाज के लिए दीर्घकालिक खतरा न बन सकें। योगी सरकार ने खाद की कालाबाजारी, जमाखोरी और ओवररेटिंग की शिकायतों पर त्वरित एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अब केवल नोटिस या चेतावनी देकर मामलों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। जिला प्रशासन को अधिकार दिया गया है कि वह मौके पर ही सख्त कार्रवाई करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान को खाद के लिए दर-दर भटकना पड़े, यह सरकार के लिए अस्वीकार्य है। यदि कहीं भी कालाबाजारी की सूचना मिलती है, तो संबंधित अधिकारी तुरंत हस्तक्षेप करेंगे और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
योगी सरकार ने खाद की आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरप्राइज इंस्पेक्शन का तंत्र मजबूत किया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब केवल दुकानदार ही नहीं, बल्कि निगरानी में लापरवाही करने वाले अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। औचक निरीक्षण के दौरान स्टॉक, बिक्री रजिस्टर, दर सूची और वितरण प्रक्रिया की गहन जांच की जा रही है। यदि किसी स्तर पर मिलीभगत या आंख मूंदने की शिकायत मिलती है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
योगी सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में डेली स्टॉक रिपोर्टिंग सिस्टम लागू किया है। इसके तहत हर खाद की दुकान और गोदाम को रोजाना उपलब्ध स्टॉक, बिक्री और बची हुई मात्रा की जानकारी ऑनलाइन अपलोड करनी होगी। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि किसी भी जिले या ब्लॉक में संभावित कमी का पूर्वानुमान भी किया जा सकेगा। इस प्रकार तकनीक का उपयोग कर खाद माफिया की हर चाल पर नजर रखी जा रही है और समय रहते कार्रवाई की जा रही है।
योगी सरकार की सख्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दो वर्षों में प्रदेश भर में 5000 से अधिक खाद की दुकानों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान अनियमितता पाए जाने पर सैकड़ों दुकानों के लाइसेंस निलंबित और रद्द किए गए हैं। कई मामलों में भारी जुर्माना भी लगाया गया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि यह अभियान केवल आंकड़ों तक सीमित न रह जाए, बल्कि इसका प्रभाव जमीनी स्तर पर किसानों को महसूस होना चाहिए। योगी सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि रबी सीजन 2025-26 के लिए प्रदेश में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यूरिया, डीएपी और एनपीके की कुल उपलब्धता 130 लाख मीट्रिक टन से अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब पर्याप्त स्टॉक मौजूद है, तो कालाबाजारी का कोई औचित्य नहीं है। यदि फिर भी कहीं कृत्रिम संकट उत्पन्न किया जाता है, तो यह स्पष्ट रूप से आपराधिक साजिश मानी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की कालाबाजारी, ओवररेटिंग या जबरन टैगिंग की शिकायत तुरंत प्रशासन तक पहुंचाएं। सरकार उनके साथ है और हर शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, खाद माफिया को कड़ी चेतावनी दी गई है कि अब कानून का डंडा और भी सख्त होगा। खेती के साथ खिलवाड़ करने वालों के लिए प्रदेश में कोई स्थान नहीं है।