क्या उत्तर प्रदेश में मक्का और आलू की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ेगी?

Key Takeaways
- किसानों की आय में वृद्धि
- मक्का और आलू की खेती को बढ़ावा
- आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग
- फसल कटाई के बाद भंडारण में सुधार
- महिला किसानों का समावेश
लखनऊ, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि और प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए एक नई योजना शुरू की है। इस योजना का नाम है ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी कृषि मूल्य श्रृंखला विकास परियोजना’।
इस परियोजना के तहत, सरकार और निजी कंपनियाँ मिलकर खेती के बाद की प्रक्रियाओं जैसे भंडारण, ग्रेडिंग, प्रसंस्करण और बिक्री को सुगम बनाएंगी। इससे किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा और बर्बादी में कमी आएगी।
सरकार ने मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए देश की प्रमुख एग्री-टेक कंपनी निंजाकार्ट से समझौता किया है। यह कंपनी उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में 10,000 से अधिक किसानों से हर साल 25,000 टन मक्का खरीदेगी, जो एथेनॉल बनाने वाली फैक्ट्रियों को भेजा जाएगा, जिससे भारत के हरित ऊर्जा लक्ष्य को भी सहायता मिलेगी।
आलू की खेती और उसके प्रसंस्करण के लिए विदेशी कंपनी एग्रिस्टो मासा के साथ समझौता किया गया है। यह कंपनी किसानों को बेहतर किस्म के आलू उगाने, उसकी प्रोसेसिंग और विदेश में बिक्री की सुविधा प्रदान करेगी। इससे आलू उत्पादक जिलों में किसानों के लिए नए बाजार और आय के अवसर उत्पन्न होंगे।
इस परियोजना में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के साथ मिलकर कार्य किया जाएगा और महिला किसानों को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा। उन्हें उन्नत बीज, कृषि मशीनरी, डिजिटल प्लेटफॉर्म, बीमा और पारदर्शी मूल्य निर्धारण प्रणाली जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
फसल कटाई के बाद उत्पादों की बर्बादी को रोकने के लिए कोल्ड चेन, स्टोरेज और ग्रेडिंग सुविधाएँ विकसित की जाएँगी, जिससे उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ेगी और नुकसान कम होगा।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यह परियोजना किसानों को आधुनिक खेती, अच्छे बाजार और बेहतर आमदनी से जोड़ने की एक ऐतिहासिक पहल है। इससे उत्तर प्रदेश कृषि क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी।