क्या एआई वॉइस बॉक्स कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लगाने में मदद कर सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- एआई की मदद से वॉइस बॉक्स कैंसर का प्रारंभिक पता लगाया जा सकता है।
- अध्ययन में 306 प्रतिभागियों की 12,523 ध्वनि रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया गया।
- धूम्रपान और शराब के दुरुपयोग जैसे कारक इस कैंसर के लिए जोखिम बढ़ाते हैं।
- यह तकनीक कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान में सहायक हो सकती है।
- शोध के परिणाम स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार की संभावनाएँ दर्शाते हैं।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। एक टीम ने वैज्ञानिकों की ओर से यह खोज की गई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मरीज की आवाज़ का विश्लेषण कर लेरिंक्स या वॉइस बॉक्स कैंसर का पता शुरुआती स्तर पर लगा सकता है।
वॉइस बॉक्स कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है। 2021 में, विश्व भर में वॉइस बॉक्स कैंसर के लगभग 11 लाख मामले सामने आए और इसमें से लगभग 1,00,000 लोगों की मृत्यु हुई।
इस बीमारी के प्रमुख जोखिम कारकों में धूम्रपान, शराब का दुरुपयोग और ह्यूमन पेपिलोमा वायरस का संक्रमण शामिल हैं।
वॉइस बॉक्स कैंसर का उपचार करने के बाद, पांच वर्षों में जीवित रहने की संभावना 35 प्रतिशत से 78 प्रतिशत तक हो सकती है, जो कि ट्यूमर के चरण और स्वरयंत्र में उसकी स्थिति पर निर्भर करती है।
ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि एआई का उपयोग करके आवाज़ की ध्वनि से स्वर की असामान्यताओं का पता लगाया जा सकता है।
इस तरह के 'वोकल फोल्ड लिजन्स' हानिकारक नहीं भी हो सकते हैं, जैसे गांठ या पॉलीप्स, लेकिन ये स्वरयंत्र कैंसर के शुरुआती स्टेज का संकेत दे सकते हैं।
फ्रंटियर्स इन डिजिटल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है कि ये परिणाम एआई के एक नए अनुप्रयोग के द्वार खोलते हैं। इसका मतलब है कि वॉइस बॉक्स कैंसर के प्रारंभिक चेतावनी संकेतों को ध्वनि रिकॉर्डिंग के माध्यम से पहचाना जा सकता है।
ओरेगन में क्लिनिकल इंफॉर्मेटिक्स के पोस्टडॉक्टोरल फेलो डॉ. फिलिप जेनकिंस ने कहा, "हम दिखाते हैं कि इस डेटासेट के साथ, हम वोकल बायोमार्कर का उपयोग करके वोकल फोल्ड लिजन्स वाले मरीजों की आवाजों को ऐसे घावों से रहित मरीजों की आवाजों में भिन्नता कर सकते हैं।"
अध्ययन में, जेनकिंस और उनकी टीम ने उत्तरी अमेरिका के 306 प्रतिभागियों की 12,523 ध्वनि रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया, जिसमें स्वर, पिच, वॉल्यूम और स्पष्टता की भिन्नताओं का अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं ने आवाज़ की कुछ विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित किया।
उन्होंने पाया कि जिन पुरुषों को कोई आवाज़ समस्या नहीं थी, जिन्हें वोकल कॉर्ड में गांठें थीं, और जिन्हें गले का कैंसर था, उनकी आवाज़ के हार्मोनिक-टू-नॉइज रेशियो और फंडामेंटल फ्रीक्वेंसी में स्पष्ट अंतर था। हालाँकि, महिलाओं में उन्हें आवाज़ की कोई खास विशेषता नहीं मिली जिससे जानकारी मिल सके।
शोधकर्ताओं ने अंत में कहा कि हार्मोनिक-टू-नॉइज रेशियो में बदलाव वॉइस बॉक्स कैंसर को शुरुआती स्तर पर पहचानने में सहायक हो सकता है।
–राष्ट्र प्रेस
जेपी/एएस