क्या वायु प्रदूषण से ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- वायु प्रदूषण मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- मेनिन्जियोमा एक सामान्य और कैंसररहित ट्यूमर है।
- ट्रैफिक से जुड़े प्रदूषक मेनिन्जियोमा के खतरे को बढ़ाते हैं।
- अवरोधित अल्ट्राफाइन कण मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं।
- स्वच्छ हवा से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि वायु प्रदूषण न केवल हृदय और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि ब्रेन में मेनिन्जियोमा नामक एक सामान्य ट्यूमर का खतरा भी बढ़ा सकता है।
मेनिन्जियोमा एक प्रकार का ट्यूमर है, जो सामान्यत: कैंसररहित होता है और यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली पतली परत (मेनिन्जेस) में उत्पन्न होता है। यह ट्यूमर आमतौर पर हानिरहित होता है, लेकिन कभी-कभी इसके कारण सिरदर्द, दौरे और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं।
यह अध्ययन न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण और मेनिन्जियोमा के बीच एक संभावित संबंध की खोज की है, हालाँकि यह प्रमाणित नहीं किया गया है कि प्रदूषण ही इसका मुख्य कारण है।
शोध में ट्रैफिक से जुड़े प्रदूषकों जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और अल्ट्राफाइन कणों का विश्लेषण किया गया, जो शहरी क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं। शोधकर्ताओं ने यह पाया कि जिन व्यक्तियों ने इन प्रदूषकों के संपर्क में अधिक समय बिताया, उनमें मेनिन्जियोमा का खतरा बढ़ा हुआ था।
डेनमार्क कैंसर इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता उल्ला ह्विडटफेल्ड ने कहा, "अल्ट्राफाइन कण इतने छोटे होते हैं कि वे रक्त-मस्तिष्क अवरोध को पार कर सकते हैं और मस्तिष्क के ऊतकों को प्रभावित कर सकते हैं।"
यह अध्ययन डेनमार्क में लगभग 40 लाख वयस्कों पर किया गया, जिनकी औसत आयु 35 वर्ष थी और जिन्हें 21 वर्षों तक ट्रैक किया गया। इस दौरान 16,596 व्यक्तियों में मस्तिष्क या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का ट्यूमर पाया गया, जिनमें से 4,645 को मेनिन्जियोमा था। शोध में ट्रैफिक से उत्पन्न अल्ट्राफाइन कणों और मेनिन्जियोमा के बीच संभावित संबंध उजागर हुआ। हालांकि, ग्लियोमा जैसे अन्य गंभीर मस्तिष्क ट्यूमर और प्रदूषकों के बीच कोई मजबूत संबंध नहीं मिला।
ह्विडटफेल्ड ने आगे कहा, "यह अध्ययन दिखाता है कि ट्रैफिक और अन्य स्रोतों से लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से मेनिन्जियोमा का खतरा बढ़ सकता है। यह प्रदूषण के मस्तिष्क पर प्रभाव को दर्शाता है, न कि केवल हृदय और फेफड़ों पर।"
उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्वच्छ हवा से ब्रेन ट्यूमर का जोखिम कम किया जा सकता है, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस निष्कर्ष की पुष्टि के लिए और भी अध्ययन की आवश्यकता है।