क्या एआई और आईओटी भारत को खाद्य प्रसंस्करण में ग्लोबल लीडर बनाएंगे?

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क्या एआई और आईओटी भारत को खाद्य प्रसंस्करण में ग्लोबल लीडर बनाएंगे?

सारांश

भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र तकनीकी नवाचारों का लाभ उठाकर वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी बन सकता है। नई रिपोर्ट में इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों और अवसरों का विश्लेषण किया गया है। जानिए कैसे एआई और आईओटी मिलकर इस क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं!

Key Takeaways

  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान।
  • सतत भविष्य के लिए डिजिटल नवाचार आवश्यक हैं।
  • वैश्विक बाजार में भारत की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।
  • सरकारी पहलों से क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।
  • उद्योग 4.0 से परिवर्तन की आवश्यकता है।

नई दिल्ली, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)| भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र टेक्नोलॉजी और डिजिटल नवाचार के माध्यम से एक सतत भविष्य की ओर अग्रसर है, जिससे यह देश को इस क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगा। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई।

एसोचैम द्वारा आयोजित फूड टेक कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत एसोचैम-पीडब्ल्यूसी की संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योग 4.0 से संबंधित तकनीकों (जैसे एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन) का उपयोग खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और परिवहन के तरीकों में परिवर्तन ला रहा है।

इन नवाचारों के कारण संचालन दक्षता, खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता में सुधार हो रहा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक खाद्य रोबोटिक्स बाजार 2032 तक 6.08 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। भारत के पास इन तकनीकों का उपयोग करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, विशेषकर जब यह फसल कटाई के समय होने वाले नुकसान जैसी गंभीर चुनौतियों का समाधान करता है, जिससे देश को वार्षिक रूप से अनुमानित 1.53 ट्रिलियन रुपए का नुकसान होता है।

एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने कहा, "भारत की विकसित और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में यात्रा, इसके खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र के परिवर्तन से बहुत प्रभावित हो रही है।"

रिपोर्ट में उद्योग के सामने आने वाली बाधाओं की भी चर्चा की गई है। इनमें आपूर्ति श्रृंखला ट्रेसेबिलिटी, सीमित प्रसंस्करण कवरेज, पर्यावरण संबंधी चिंताएं और कुशल मैनपावर की कमी शामिल हैं।

रिपोर्ट में सरकार द्वारा शुरू की गई पहलों जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (पीएमकेएसवाई) और प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) पर भी चर्चा की गई है, जिनका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना, बर्बादी को कम करना और क्षेत्र को औपचारिक बनाना है।

पीडब्ल्यूसी इंडिया के कृषि और खाद्य क्षेत्र के पार्टनर शशि कांत सिंह ने कहा, "उभरती खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों पर बातचीत, पक्षकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है जिससे इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके। भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में जबरदस्त संभावनाएं हैं।"

Point of View

मैं यह मानता हूँ कि भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाने के लिए तकनीकी नवाचारों का सही उपयोग आवश्यक है। यह न केवल देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में भी उसे मजबूती प्रदान करेगा।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में एआई और आईओटी का क्या महत्व है?
एआई और आईओटी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में दक्षता और गुणवत्ता में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये तकनीकें संचालन को स्वचालित करने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और बर्बादी को कम करने में मदद करती हैं।
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की चुनौतियाँ क्या हैं?
चुनौतियों में आपूर्ति श्रृंखला ट्रेसेबिलिटी, सीमित प्रसंस्करण कवरेज, पर्यावरणीय चिंताएँ और कुशल मैनपावर की कमी शामिल हैं।