क्या लेबर रिफॉर्म्स से गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा बढ़ेगी?
सारांश
Key Takeaways
- नए लेबर कोड से गिग वर्कर्स को सोशल सिक्योरिटी का लाभ मिलेगा।
- सेक्टर के लिए स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार होगा।
- इटरनल और अमेजन ने इन सुधारों का समर्थन किया है।
- गिग वर्कर्स की भलाई के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना।
- यह सुधार भारत के इकोसिस्टम को सुदृढ़ करेंगे।
नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। डिजिटल प्लेटफॉर्म ने शनिवार को देश में नए लेबर कोड लागू होने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि ये सुधार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षाओं के उपायों को सुदृढ़ करेंगे। इसके साथ ही, सेक्टर के लिए एक अधिक स्पष्ट और सहायक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार होगा।
जोमैटो की पेरेंट कंपनी इटरनल लिमिटेड ने कहा कि नए नियमों के साथ कंपनी के फूड डिलीवरी और क्विक-कॉमर्स ऑपरेशन से जुड़े गिग वर्कर्स के लिए सोशल सिक्योरिटी का लाभ बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इटरनल का कहना है कि कंपनी को नहीं लगता कि नियमों का वित्तीय प्रभाव खासकर कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी, कंपनी के व्यवसाय की दीर्घकालिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगा।
कंपनी का कहना है कि सरकार द्वारा संबंधित नियमों के नोटिफिकेशन के बाद ही वित्तीय और संचालन संबंधी विवरण स्पष्ट हो पाएंगे।
कंपनी के अनुसार, लेबर कानून के साथ नियम पहले से ज्यादा स्पष्ट और एकसमान बनते हैं, जो कि भारत और देश के इकोसिस्टम दोनों को समर्थन करते हैं।
इटरनल ने बताया कि कंपनी कई वर्षों से सरकार के साथ संवाद में है और इस तरह के योगदानों के लिए तैयारियों में जुटी है।
कंपनी के अनुसार, "इटरनल में हम अपने गिग वर्कर्स की भलाई के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। हम पहले से ही अपने वर्कर्स को इंश्योरेंस और वेलफेयर बेनेफिट्स जैसे कई फायदे मुफ्त में उपलब्ध करवा रहे हैं।"
वहीं दूसरी ओर अमेजन ने कहा कि कंपनी सरकार के इन सुधारों के पीछे के उद्देश्य को अपना समर्थन देती है। अमेजन ने कहा कि कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी कंपनी के कर्मचारियों की सुरक्षा और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करता है।
केंद्र के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 नौ मौजूदा सामाजिक सुरक्षा अधिनियमों को एक ढांचे में प्रस्तुत करती है, जिससे संगठित, असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए यूनिवर्सल सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
यह पहली बार है जब गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को मान्यता दी जा रही है और उनके कल्याण के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की गई है।