क्या ग्रेटर नोएडा में अतिक्रमण रोकने के लिए तकनीकी क्रांति आएगी?
सारांश
Key Takeaways
- ग्रेटर नोएडा में तकनीकी निगरानी प्रणाली लागू की जाएगी।
- इसरो और एनआरएससी के सहयोग से एआई तकनीक का उपयोग होगा।
- अतिक्रमण की पहचान में तेजी आएगी।
- भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- मार्च 2026 तक यह प्रणाली पूरी तरह से कार्यरत होगी।
ग्रेटर नोएडा, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण अब अतिक्रमण और अनियोजित निर्माण पर सख्त नजर रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करेगा। इसके लिए प्राधिकरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) के सहयोग से एक एआई-आधारित अतिक्रमण निगरानी प्रणाली विकसित करने की योजना बना रहा है।
यह पहल देश के विकास प्राधिकरणों में पहली बार की जा रही है। इसे तकनीकी आधारित शहरी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एनजी रवि कुमार के निर्देश पर दोनों संस्थाओं के बीच एमओयू का मसौदा तैयार किया जा रहा है। समझौते पर जल्द हस्ताक्षर किए जाएंगे, और कार्य शुरू किया जाएगा। दिसंबर 2025 तक इसके पहले चरण का डेटा तैयार होगा, जबकि मार्च 2026 तक पूरे सिस्टम को विकसित कर चालू करने का लक्ष्य है।
यह सिस्टम उच्च रिज़ॉल्यूशन उपग्रह चित्रों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का संयोजन करके तैयार किया जाएगा, जिससे ज़मीन पर हो रहे किसी भी अवैध कब्जे, निर्माण या बदलाव की तात्कालिक पहचान संभव होगी। इससे भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता, डेटा-आधारित निर्णय और कार्रवाई की गति कई गुना बढ़ेगी। प्राधिकरण को जीआईएस आधारित इमेजिंग और अलर्ट मिलेंगे, जिससे समस्या की सूचना क्षेत्रीय अधिकारियों तक समय पर पहुँच सकेगी और त्वरित कार्रवाई संभव होगी।
एमओयू के तहत एनआरएससी मॉड्यूल, डैशबोर्ड, अलर्ट सिस्टम और प्रशिक्षण विकसित करेगा। साथ ही, प्राधिकरण के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि सिस्टम के पूर्ण हस्तांतरण के बाद संचालन में कोई बाधा न आए।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी एनजी रवि कुमार ने कहा, "इसरो के सहयोग से भूमि प्रबंधन अधिक पारदर्शी, सटीक और जिम्मेदार बनेगा। यह परियोजना हमारे लिए भविष्य की स्मार्ट गवर्नेंस प्रणाली का आधार तैयार करेगी।"
परियोजना का नेतृत्व कर रहे एसीईओ सुमित यादव ने कहा कि एआई और उपग्रह निगरानी अतिक्रमण रोकने की क्षमता को कई गुना बढ़ाएगी और यह स्मार्ट, डेटा-आधारित और प्रो-एक्टिव प्रशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इसके लागू होने के बाद ग्रेटर नोएडा न केवल देश में तकनीकी-आधारित भूमि प्रबंधन में अग्रणी बनेगा, बल्कि अन्य विकास प्राधिकरणों और नगर निकायों के लिए भी एक मॉडल साबित होगा।
—राष्ट्र प्रेस
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