क्या हेपेटाइटिस बी वायरस से लड़ने के लिए जांच और टीकाकरण को बढ़ावा देना आवश्यक है?

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क्या हेपेटाइटिस बी वायरस से लड़ने के लिए जांच और टीकाकरण को बढ़ावा देना आवश्यक है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि हेपेटाइटिस बी एक चुपचाप फैलने वाला वायरस है? विशेषज्ञों का कहना है कि इसे पहचानना मुश्किल है, और इसके खिलाफ जांच और टीकाकरण को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। जानें इस गंभीर बीमारी के बारे में और कैसे हम इसे रोक सकते हैं।

Key Takeaways

  • हेपेटाइटिस बी
  • जांच और टीकाकरण
  • भारत में हेपेटाइटिस बी के 2.98 करोड़ मामले हैं।
  • 95% मामले मां से बच्चे में फैलते हैं।
  • 2030 तक हेपेटाइटिस बी के बोझ को कम करना है।

नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर सोमवार को विशेषज्ञों ने बताया कि हेपेटाइटिस बी एक ऐसा वायरस है जो चुपचाप फैलता है और इसे जल्दी पहचान पाना कठिन है। इसके प्रसार को रोकने के लिए जांच (स्क्रीनिंग) और टीकाकरण को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है।

विश्व हेपेटाइटिस दिवस हर साल 28 जुलाई को इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम के उपायों के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है ‘हेपेटाइटिस: चलो इसे समाप्त करें।’

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हेपेटाइटिस बी के 2.98 करोड़ मामले हैं, जो वैश्विक मामलों का 11.7 प्रतिशत हैं। 2022 में, विश्व स्तर पर 25.4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से प्रभावित थे।

नई दिल्ली में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज के निदेशक डॉ. एसके सरीन ने कहा, "हेपेटाइटिस बी एक छिपा हुआ वायरस है जो 40, 50, या 60 वर्ष की आयु में सक्रिय होता है और तब तक कोई संकेत नहीं देता जब तक कि लिवर कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न नहीं होतीं।"

हेपेटाइटिस बी मुख्यतः मां से बच्चे में स्थानांतरित होता है। डॉ. सरीन ने कहा, "वर्तमान में 95 प्रतिशत हेपेटाइटिस बी मां से बच्चे में फैलता है। केवल 15 प्रतिशत लोग जानते हैं कि उन्हें यह बीमारी है, और उनमें से सिर्फ 3 प्रतिशत का उपचार हो रहा है। यह स्थिति बहुत ही अदृश्य है। भारत में हेपेटाइटिस बी के 3 करोड़ मामलों में से केवल कुछ लाख लोग ही उपचार प्राप्त कर पा रहे हैं।"

उन्होंने हेपेटाइटिस बी के लिए जांच और टीकाकरण को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. सरीन ने कहा, "यदि किसी को हेपेटाइटिस बी है, तो पूरे परिवार की जांच करना अनिवार्य है। परिवार में किसी और के इस बीमारी से प्रभावित होने का खतरा पांच गुना अधिक होता है। इसलिए, जो लोग आज स्वस्थ हैं, उन्हें भी जांच और टीकाकरण करवाना चाहिए। ऐसा करने से हम सुरक्षित रह सकते हैं।"

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव राजेश भूषण ने बताया कि हेपेटाइटिस बी के बोझ को 2030 तक कम करने के लिए और इसके नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2007 में यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत हेपेटाइटिस बी वैक्सीन को शामिल किया।

उन्होंने कहा, "नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 और एचएमआईएस 2023-24 के अनुसार, हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की तीसरी खुराक का कवरेज अब 93 प्रतिशत से अधिक है।"

इसके अतिरिक्त, सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीएचसीपी) की शुरुआत की।

भूषण ने इलनेस टू वेलनेस फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा, "इस पहल के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हेपेटाइटिस बी और सी की मुफ्त जांच और उपचार उपलब्ध कराया गया है, जिसके लिए राज्य सरकारों को पर्याप्त धनराशि प्रदान की जाती है।"

Point of View

यह कहना आवश्यक है कि हेपेटाइटिस बी जैसी बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और जांच तथा टीकाकरण को प्राथमिकता देना हमारे देश की स्वास्थ्य नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
02/08/2025

Frequently Asked Questions

हेपेटाइटिस बी क्या है?
हेपेटाइटिस बी एक वायरल संक्रमण है जो यकृत को प्रभावित करता है और इसे मां से बच्चे में फैलने की संभावना होती है।
हेपेटाइटिस बी के लक्षण क्या हैं?
हेपेटाइटिस बी के लक्षणों में थकान, भूख में कमी, और पेट के दाईं ओर दर्द शामिल हो सकते हैं।
क्या हेपेटाइटिस बी का इलाज संभव है?
जी हां, हेपेटाइटिस बी का उपचार उपलब्ध है, लेकिन केवल कुछ लोग ही इसे जानते हैं और इलाज करवा रहे हैं।
हेपेटाइटिस बी से कैसे बचा जा सकता है?
हेपेटाइटिस बी से बचने के लिए टीकाकरण और नियमित जांच कराना बेहद जरूरी है।
भारत में हेपेटाइटिस बी की स्थिति क्या है?
भारत में हेपेटाइटिस बी के मामलों की संख्या लगभग 2.98 करोड़ है, जो वैश्विक मामलों का 11.7 प्रतिशत है।