क्या एटेरो 100 करोड़ के निवेश से अपनी रेयर अर्थ एलिमेंट रिसाइक्लिंग क्षमता को 30,000 टन करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- एटेरो ने 100 करोड़ का निवेश किया है।
- आरईई रिसाइक्लिंग क्षमता को 30,000 टन करने की योजना।
- महत्वपूर्ण खनिजों की आत्मनिर्भरता में योगदान।
- डीप टेक और पेटेंट प्रक्रियाएं।
- पर्यावरण संरक्षण के लिए ऊर्जा-कुशल तकनीक।
नई दिल्ली, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग कंपनी एटेरो ने गुरुवार को 100 करोड़ रुपए का निवेश कर अगले 12 से 24 महीनों में अपनी रेयर अर्थ एलिमेंट (आरईई) रिसाइक्लिंग क्षमता को 300 टन से 30,000 टन करने की योजना की घोषणा की।
लिथियम-आयन बैटरियों के सबसे उन्नत रिसाइक्लर ने एक बयान में बताया कि यह विस्तार सीधे तौर पर नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) को समर्थन प्रदान करेगा।
सरकार ने एनसीएमएम की स्थापना 2025 तक आयात निर्भरता को घटाने और महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए की है।
नियोडिमियम (एनडी), प्रेजोडायमियम (पीआर) और डिस्प्रोसियम (डीवाई) जैसे रेयर अर्थ धातुएं इलेक्ट्रिक वाहन, पवन ऊर्जा और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए आवश्यक हैं।
वैश्विक आरईई बाजार में 12.6 प्रतिशत की सीएजीआर दर से 2029 तक 10.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि आरईई मैग्नेट का मूल्य 2033 तक 30.3 बिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। इसलिए, स्वदेशी रीसाइक्लिंग और निष्कर्षण क्षमताओं का विकास अब एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया है।
एटेरो के सीईओ और सह-संस्थापक नितिन गुप्ता ने कहा, "हम आयात पर निर्भरता को कम करने और चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए भारत की आत्मनिर्भरता की लगातार वकालत कर रहे हैं। हमें गर्व है कि हम एकमात्र भारतीय कंपनी हैं, जिनके पास डीप टेक और वैश्विक स्तर पर पेटेंट प्राप्त प्रक्रियाएं हैं, जो ब्लैक मास को परिष्कृत करने में सक्षम हैं।"
वर्तमान वैश्विक परिवेश घरेलू इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की आवश्यकताओं को और अधिक स्पष्ट करता है।
गुप्ता ने आगे कहा, "हम अपनी मौजूदा क्षमता और तकनीकी नेतृत्व के साथ अपनी आरईई रिसाइक्लिंग क्षमता को 1 से 100 टन प्रतिदिन से बढ़ाकर 30,000 टन वार्षिक तक पहुंचाने के लिए तैयार हैं और मांग में वृद्धि के साथ आगे विस्तार की संभावनाओं की खोज कर रहे हैं।"
एटेरो की पेटेंट तकनीक ई-वेस्ट और हार्ड डिस्क ड्राइव, लैपटॉप, नेकबैंड और इयरफोन जैसे एंड-ऑफ-लाइफ इलेक्ट्रॉनिक्स से आरईई को निकालने की क्षमता प्रदान करती है।
यह प्रक्रिया ऊर्जा-कुशल और लागत-प्रभावी है और पारंपरिक खनन की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम करती है।
एटेरो एकमात्र भारतीय कंपनी है, जो इस्तेमाल की गई लिथियम-आयन बैटरी से निकलने वाले महत्वपूर्ण आउटपुट 'ब्लैक मास' को उच्च-शुद्धता वाली सामग्रियों में परिष्कृत करने में सक्षम है। यह क्षमता कंपनी की स्थिति को महत्वपूर्ण धातुओं के लिए सर्कुलर इकोनॉमी के लीडर के रूप में मजबूत करती है।
वित्त वर्ष 2025 में कंपनी ने सालाना 150,000 टन से अधिक ई-वेस्ट और 15,000 टन लिथियम-आयन बैटरी को प्रोसेस किया और सालाना आधार पर 100 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा है।