क्या आयुर्वेद का ज्ञान बाल चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं को नया आयाम दे सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- आयुर्वेद बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा दे सकता है।
- संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने बाल चिकित्सा में आयुर्वेद के उपयोग पर चर्चा की।
- पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा का सम्मिलन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
- आयुर्वेद ने सदैव बाल स्वास्थ्य को समृद्ध समाज की नींव माना है।
- यह संगोष्ठी बच्चों के स्वस्थ भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने सोमवार को कहा कि आयुर्वेद, जो भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, वह बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा और ऊंचाइयां दे सकता है।
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (आरएवी) ने "आयुर्वेद के माध्यम से बाल चिकित्सा में रोग प्रबंधन और स्वास्थ्य" विषय पर अपनी 30वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया था।
इस संगोष्ठी का मुख्य लक्ष्य प्रमुख आयुर्वेदिक विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और विद्यार्थियों को एक मंच पर लाकर बाल चिकित्सा स्वास्थ्य को समग्र रूप से आगे बढ़ाना है।
प्रतापराव जाधव ने अपने संदेश में कहा, “आयुर्वेद ने सदैव बाल स्वास्थ्य को समृद्ध समाज की नींव माना है। यह संगोष्ठी न केवल रोग प्रबंधन बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य संवर्धन में भी आयुर्वेद की गहराई और उपयोगिता को सामने लाती है। यहां होने वाले विचार-विमर्श से चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण मार्गदर्शन मिलेगा।”
आरएवी के वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने योग और आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की और बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आरएवी के प्रयासों की प्रशंसा की।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) की निदेशक प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाला ने कहा कि आयुष मंत्रालय की स्थापना के बाद से ही जनता का भरोसा इस पद्धति में काफी बढ़ा है। उन्होंने सरकार के सहयोग और आयुष पेशेवरों की समर्पित सेवाओं के लिए आभार भी जताया।
आरएवी की निदेशक डॉ. वंदना सिरोहा ने अपने संबोधन में “स्वस्थ बालक, स्वस्थ भारत” के लक्ष्य को साकार करने में इस संगोष्ठी की अहम भूमिका बताई। उन्होंने आयुर्वेद की बाल चिकित्सा शाखा कौमारभृत्य की सराहना की, जो बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है।
कार्यक्रम में कई वैज्ञानिक प्रस्तुतियां हुईं, जिनमें आयुर्वेद पर आधारित बाल चिकित्सा उपचार के साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण और निवारक हेल्थ सर्विस पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पारंपरिक पद्धतियों को आधुनिक वैज्ञानिक शोध के साथ जोड़ा जाए, तो यह न केवल बच्चों की रोकथाम संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करेगा बल्कि उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों से भी प्रभावी ढंग से निपटने में मदद करेगा।
यह संगोष्ठी बच्चों के लिए एक मजबूत और स्वस्थ भविष्य की नींव रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।