क्या डायबीटिक रेटिनोपैथी का पता तब तक नहीं चलता जब तक दिखना बंद न हो जाए?

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क्या डायबीटिक रेटिनोपैथी का पता तब तक नहीं चलता जब तक दिखना बंद न हो जाए?

सारांश

विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में डायबीटिक रेटिनोपैथी दृष्टि हानि का मुख्य कारण बन रहा है, और इसकी पहचान तब होती है जब दृष्टि पहले ही चली जाती है। जानिए कैसे मधुमेह के बढ़ते मामलों से यह समस्या गंभीर होती जा रही है और क्या हैं इसके समाधान।

Key Takeaways

  • डायबीटिक रेटिनोपैथी मधुमेह का एक गंभीर परिणाम है।
  • सामान्य दृष्टि हानि का पता तब चलता है जब स्थिति गंभीर हो जाती है।
  • समय पर जांच और उपचार से दृष्टि को बचाया जा सकता है।
  • भारतीय जनसंख्या में मधुमेह का बोझ तेजी से बढ़ रहा है।
  • जन जागरूकता और नियमित नेत्र जांच आवश्यक है।

नई दिल्ली, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व रेटिना दिवस से पहले शनिवार को स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डायबीटिक रेटिनोपैथी की समस्याओं पर चर्चा की। विशेषज्ञों का मानना है कि मधुमेह रेटिनोपैथी भारत में दृष्टि हानि का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है, और यह स्थिति तब तक पहचान में नहीं आती जब तक कि दृष्टि हानि नहीं हो जाती।

हर साल सितंबर के अंतिम रविवार को विश्व रेटिना दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य रेटिना के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

भारत, जो मधुमेह की राजधानी है, के लिए डायबिटिक रेटिनोपैथी एक गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए, विशेषज्ञों का कहना है कि इसका समय पर पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है।

दिल्ली के एम्स के आरपी सेंटर में सामुदायिक नेत्र विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण वशिष्ठ ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "भारत में मधुमेह पहले से ही एक महामारी है, और डायबीटिक रेटिनोपैथी तेजी से एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभर रही है। यह देश में दृष्टि दोष के प्रमुख कारणों में से एक बनती जा रही है।"

वीआरएसआई की उपाध्यक्ष और पीजीआईएमएस में रेटिना प्रमुख डॉ. विशाली गुप्ता ने कहा, "डायबिटिक रेटिनोपैथी मधुमेह रोगियों की सबसे आम और गंभीर जटिलताओं में से एक है, फिर भी जब तक दृष्टि हानि शुरू नहीं हो जाती, तब तक इसका पता नहीं चल पाता।"

एम्स के आरपी सेंटर द्वारा किए गए 2019 के राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं दृष्टिबाधितता सर्वेक्षण के अनुसार, 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र की लगभग 12 प्रतिशत आबादी मधुमेह से ग्रसित है।

इनमें से लगभग 17 प्रतिशत को डायबिटिक रेटिनोपैथी है। चिंता की बात यह है कि मधुमेह से पीड़ित केवल 10 प्रतिशत लोगों ने ही अपनी रेटिना की जांच करवाई है, जो प्रारंभिक पहचान और निवारक देखभाल में एक बड़ा अंतर दर्शाता है।

गुप्ता ने कहा कि उच्च रक्त शर्करा का लगातार बढ़ना रेटिना में छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे डायबिटिक रेटिनोपैथी होती है।

यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि यह प्रारंभिक अवस्था में बिना किसी स्पष्ट लक्षण के बढ़ती है।

विशेषज्ञों ने कहा, "समय के साथ, इन कमजोर वाहिकाओं से द्रव रिसाव या रक्तस्राव हो सकता है, जिससे सूजन, निशान और नई असामान्य रक्त वाहिकाओं का विकास हो सकता है, जो डायबिटिक मैक्यूलर एडिमा (डीएमई) का कारण बन सकता है, जो दृष्टि के लिए खतरा है।"

परंपरागत रूप से, डीएमई के लिए लेजर थेरेपी और एंटी-वीईजीएफ इंजेक्शन मुख्य उपचार रहे हैं। लेकिन अब, डीएमई के उपचार में कुछ बदलाव हो रहे हैं।

इसमें बाइस्पेस्फिक (द्विविशिष्ट) एंटीबॉडी शामिल हैं, जो एक साथ कई रोग प्रक्रिया को लक्षित करके मदद करते हैं, सूजन को कम करते हैं और असामान्य रक्त वाहिकाओं के विकास को नियंत्रित करते हैं।

गुप्ता ने कहा, "ये नवाचार भारत जैसे देश में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जहां मधुमेह का बोझ तेजी से बढ़ रहा है।" उन्होंने बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए शीघ्र पहचान की आवश्यकता पर बल दिया।

गुप्ता ने आगे कहा, "जांच में देरी का मतलब है कि मरीज अक्सर तब आते हैं जब महत्वपूर्ण और कभी-कभी अपरिवर्तनीय क्षति हो चुकी होती है। बाद के चरण में, यह बीमारी न केवल उपचार की सफलता को सीमित करती है, बल्कि पूर्ण अंधेपन का कारण भी बन सकती है, जिससे व्यक्ति की स्वतंत्रता, जीवन की गुणवत्ता और उत्पादकता प्रभावित होती है।"

विशेषज्ञों ने मधुमेह देखभाल के नियमित भाग के रूप में नियमित नेत्र जांच की सिफारिश की है।

वशिष्ठ ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी के लिए जन जागरूकता और व्यवस्थित जांच पहल को देश भर में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। एक यथार्थवादी लक्ष्य वर्ष 2030 तक मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों में कम से कम 80 प्रतिशत जांच कवरेज हासिल करना होगा। ऐसा दृष्टिकोण टाले जा सकने वाले अंधेपन के बोझ को कम करेगा और जिन्हें रिस्क है उनकी समय पर मदद कर पाएगा।"

Point of View

जिससे डायबीटिक रेटिनोपैथी जैसी समस्याएं आम हो रही हैं। हमें जागरूकता फैलाने और नियमित जांच की आवश्यकता है।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

डायबीटिक रेटिनोपैथी क्या है?
यह मधुमेह के कारण आंखों में होने वाली एक गंभीर स्थिति है जो दृष्टि हानि का कारण बनती है।
इसका पता कैसे लगाया जा सकता है?
रेतिना की नियमित जांच से इसे समय पर पहचान सकते हैं।
क्या यह स्थिति ठीक हो सकती है?
यदि इसे समय पर पहचान लिया जाए, तो उपचार से दृष्टि को बचाया जा सकता है।