क्या डॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बायो-हैप्पीनेस का विचार प्रस्तुत किया?

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क्या डॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बायो-हैप्पीनेस का विचार प्रस्तुत किया?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की जयंती पर उनके द्वारा प्रस्तुत बायो-हैप्पीनेस और जलवायु-अनुकूल फसल किस्मों के विचारों की सराहना की। यह विचार खाद्य और कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हैं। जानें इस सम्मेलन में क्या-क्या चर्चा हुई।

Key Takeaways

  • डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन का योगदान कृषि में महत्वपूर्ण है।
  • बायो-हैप्पीनेस का विचार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक है।
  • जलवायु-प्रतिरोधी फसलों का विकास आवश्यक है।
  • कृषि नीति में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण महत्वपूर्ण है।
  • सोलर पावर्ड माइक्रो इरिगेशन पर जोर दिया गया।

नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने बायो-हैप्पीनेस और जलवायु-अनुकूल फसल किस्मों का विचार प्रस्तुत किया, जो बढ़ते वैश्विक जलवायु परिवर्तन और खाद्य एवं कृषि पर इसके प्रभावों से निपटने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

7 अगस्त का दिन विश्व प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने 1960 के दशक में भारत की 'हरित क्रांति' की शुरुआत की थी।

राष्ट्रीय राजधानी में एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत रत्न से सम्मानित डॉ. स्वामीनाथन एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के आंदोलन का नेतृत्व किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज, जैव विविधता पर वैश्विक चर्चा हो रही है और दुनिया भर की सरकारें इसे संरक्षित करने के लिए विभिन्न कदम उठा रही हैं। लेकिन डॉ. स्वामीनाथन ने एक कदम आगे बढ़कर बायो-हैप्पीनेस का विचार प्रस्तुत किया। आज, हम यहां उसी विचार का जश्न मना रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "आप जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से भली-भांति परिचित हैं। हमें अधिक संख्या में जलवायु-प्रतिरोधी फसल किस्मों का विकास करने की आवश्यकता है। सूखा-सहिष्णु, हीट-रेसिस्टेंट और बाढ़-अनुकूल फसलों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।"

पीएम मोदी ने क्रॉप रोटेशन विधियों पर अधिक शोध करने और यह पहचानने की आवश्यकता पर बल दिया कि कौन सी फसलें विशिष्ट मिट्टी के प्रकारों के लिए सबसे उपयुक्त हैं।

कृषि के क्षेत्र में डॉ. स्वामीनाथन के प्रयासों की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रख्यात वैज्ञानिक ने हमें सिखाया कि कृषि केवल फसलों के बारे में नहीं है, यह लोगों के जीवन के बारे में है। खेती से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा, प्रत्येक समुदाय की समृद्धि और प्रकृति की सुरक्षा हमारी सरकार की कृषि नीति की मुख्य शक्ति है।

अपने विचार को आगे बढ़ाते हुए, प्रधानमंत्री ने सोलर पावर्ड माइक्रो इरिगेशन के क्षेत्र में प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, "ड्रिप सिस्टम और सटीक सिंचाई को और अधिक व्यापक और प्रभावी बनाया जाना चाहिए।"

उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा, "क्या हम सैटेलाइट डेटा, एआई और मशीन लर्निंग को इंटीग्रेट कर सकते हैं? क्या हम ऐसी प्रणालियां बना सकते हैं जो पैदावार का पूर्वानुमान लगा सकें, कीटों की निगरानी कर सकें और खेती के लिए वास्तविक समय में मार्गदर्शन प्रदान कर सकें? क्या ऐसी वास्तविक समय की निर्णय सहायता प्रणालियां हर जिले में उपलब्ध कराई जा सकती हैं?"

उन्होंने आगे कहा कि आपको कृषि-तकनीक स्टार्टअप्स का मार्गदर्शन भी करते रहना चाहिए।

उन्हें 'भारत माता का रत्न' कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन ने अपने कार्यों से यह साबित किया कि विज्ञान केवल खोज के बारे में नहीं, बल्कि परिणाम देने के बारे में है।

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने एक डाक टिकट और एक सिक्का भी जारी किया।

प्रधानमंत्री खाद्य एवं शांति के लिए पहला वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज (टीडब्ल्यूएएस) एम.एस. स्वामीनाथन पुरस्कार भी प्रदान करेंगे।

Point of View

यह स्पष्ट है कि डॉ. स्वामीनाथन का योगदान कृषि में अनमोल है। उनकी दूरदर्शिता और विचार आज की जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में सहायक हैं। हमारी सरकार को उनकी शिक्षाओं को अपनाते हुए एक स्थायी कृषि नीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
NationPress
07/08/2025

Frequently Asked Questions

डॉ. स्वामीनाथन का योगदान क्या है?
डॉ. स्वामीनाथन ने भारत में हरित क्रांति की शुरुआत की और खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।
बायो-हैप्पीनेस का क्या मतलब है?
बायो-हैप्पीनेस का मतलब जैव विविधता और कृषि उत्पादकता को संतुलित करना है, जिससे पर्यावरण और मानव कल्याण को बढ़ावा मिलता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. स्वामीनाथन के विचारों की सराहना की और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जलवायु-प्रतिरोधी फसलों के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।