क्या भारत का नेशनल एआई इकोसिस्टम वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश की बाधाओं को कम करेगा?

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क्या भारत का नेशनल एआई इकोसिस्टम वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश की बाधाओं को कम करेगा?

सारांश

केंद्र सरकार का नेशनल एआई इकोसिस्टम वित्तीय सेवाओं में छोटे और बड़े खिलाड़ियों के लिए एआई संसाधनों को सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह रिपोर्ट कई महत्वपूर्ण संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता को उजागर करती है।

Key Takeaways

  • नेशनल एआई इकोसिस्टम से छोटे और बड़े खिलाड़ियों को समान अवसर मिलेंगे।
  • वित्तीय संस्थानों के लिए डेटा गुणवत्ता और प्रतिभा की कमी प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
  • एआई कोष और इंडियाएआई कंप्यूट प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
  • पारदर्शिता से विश्वास उत्पन्न करना महत्वपूर्ण है।
  • सरकारी पहलों से छोटे संस्थानों की क्षमता में वृद्धि होगी।

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार के प्रयासों से नेशनल एआई इकोसिस्टम वित्तीय सेवाओं में सिर्फ बड़े खिलाड़ियों के लिए ही नहीं, बल्कि छोटे खिलाड़ियों के लिए भी एआई संसाधनों की उपलब्धता को आसान बना देगा। यह जानकारी बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आई।

बिजनेस कंसल्टेंसी फर्म ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस परिवर्तन का मतलब होगा कि कंपनियों को अपने सिस्टम को इन प्लेटफार्मों के साथ सक्रिय रूप से जोड़ना होगा और उन्हें डेटासेट और मॉडल प्रदान करने होंगे।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इंडियाएआई मिशन, एआई कोष, डीपीडीपी एक्ट और सीईआरटी-इन के साइबर सुरक्षा अधिदेश कंप्यूट, डेटासेट, डेटा सुरक्षा और डिजिटल रेल के बुनियादी ढांचे का विकास कर रहे हैं, जिससे अब वित्तीय संस्थान लाभ उठा सकते हैं।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वित्तीय संस्थानों को चार संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है: डेटा की गुणवत्ता, इंफ्रास्ट्रक्चर गैप्स, प्रतिभा की कमी और नियामक अस्पष्टता

बैंकों और एनबीएफसी के लिए, एआई एक बोर्ड-स्तरीय शासन मुद्दा बन जाता है, जिसके लिए मॉडल जोखिम प्रबंधन और निष्पक्षता कार्यक्रमों की आवश्यकता होती है। उद्योग को मॉडल जोखिम प्रबंधन को संस्थागत बनाते हुए प्रतिक्रिया देनी चाहिए, जिसमें एआई सिस्टम की सूची बनाना, निष्पक्षता और व्याख्यात्मकता कार्यक्रम विकसित करना और मौजूदा पर्यवेक्षी चैनलों में घटना रिपोर्टिंग को शामिल करना शामिल है।

रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि एआई कोष और इंडियाएआई कंप्यूट प्लेटफॉर्म जैसी राष्ट्रीय पहलों के माध्यम से छोटे संस्थानों की क्षमता में वृद्धि होगी।

पूंजी बाजारों को एआई-आधारित निर्णय लेने में विश्वास उत्पन्न करने के लिए पारदर्शिता पर निर्भर रहना चाहिए।

फर्म ने बीमा कंपनियों और फिनटेक को पर्यवेक्षण के तहत इनोवेशन करने का सुझाव दिया है।

आरबीआई की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 20 प्रतिशत विनियमित संस्थाओं ने किसी न किसी रूप में एआई तकनीक को अपनाया है, और अब तक इस्तेमाल की गई तकनीकें सरल नियम-आधारित नॉन-लर्निंग एआई मॉडल और मध्यम रूप से जटिल एमएल मॉडल हैं, जिनमें एडवांस्ड एआई मॉडल को सीमित रूप से अपनाया गया है।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि एआई अब केवल एक प्रयोगात्मक उपकरण नहीं रह गया है, बल्कि यह एक रेगुलेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसे निष्पक्षता, पारदर्शिता और गवर्नेंस की आवश्यकता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि नेशनल एआई इकोसिस्टम वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार ला सकता है। हालांकि, चुनौतियाँ भी हैं, जैसे डेटा की गुणवत्ता और प्रतिभा की कमी, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है ताकि हम एक मजबूत और समावेशी वित्तीय प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ सकें।
NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या एआई तकनीक का उपयोग वित्तीय संस्थानों के लिए लाभकारी है?
हाँ, एआई तकनीक का उपयोग वित्तीय संस्थानों को डेटा का बेहतर विश्लेषण और निर्णय लेने में मदद करता है।
वित्तीय क्षेत्र में एआई के लिए क्या चुनौतियाँ हैं?
डेटा की गुणवत्ता, इंफ्रास्ट्रक्चर गैप्स, प्रतिभा की कमी और नियामक अस्पष्टता प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
किस प्रकार की संस्थाएँ एआई तकनीक को अपनाने में पीछे हैं?
विशेष रूप से छोटे वित्तीय संस्थान और बीमा कंपनियाँ एआई को अपनाने में धीमी हैं।