क्या कम महंगाई दर चलते आरबीआई इस साल ब्याज दरों में 50 आधार अंक की कटौती कर सकता है?

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क्या कम महंगाई दर चलते आरबीआई इस साल ब्याज दरों में 50 आधार अंक की कटौती कर सकता है?

सारांश

नई दिल्ली से आई एक नई रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा महंगाई दर में कमी से आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने का अवसर मिल सकता है। जानिए इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है।

Key Takeaways

  • खुदरा महंगाई दर में कमी का अनुमान है।
  • आरबीआई को 50 आधार अंक तक की कटौती करने का मौका मिल सकता है।
  • जीएसटी सुधारों से घरेलू मांग में बढ़ोतरी संभव है।

नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। खुदरा महंगाई दर में आने वाले समय में कमी देखने को मिलेगी, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को रेपो रेट में 50 आधार अंक तक की कटौती करने के लिए पर्याप्त जगह मिल सकती है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में दी गई।

रिपोर्ट में कहा गया है, "खाद्य उत्पादों की कम कीमतें, जीएसटी दरों में कटौती और इनपुट मूल्य दबावों की कमी से उत्पन्न अवस्फीति के कारण हेडलाइन महंगाई दर का ट्रेंड नरम बने रहने की संभावना है। हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 26 में हेडलाइन महंगाई दर औसतन 2.4 प्रतिशत सालाना रहेगा, जिससे आरबीआई अक्टूबर और दिसंबर में प्रत्येक में 25 आधार अंकों (0.25 प्रतिशत) की कटौती रेपो रेट में कर सकेगा।"

रिपोर्ट में मुताबिक, पिछले सात महीनों से खुदरा महंगाई दर आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे चल रही है, जिसका एक कारण खाद्य कीमतों में गिरावट भी है। हालांकि, मुख्य महंगाई दर 4.2 प्रतिशत के दायरे में बनी हुई है, जबकि पिछले 22 महीनों से मुख्य महंगाई दर 3.1 प्रतिशत पर और 4 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है, जो महंगाई दर में नरमी का संकेत है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कम महंगाई दर का यह ट्रेंड कई कारकों के संयोजन से प्रेरित है, जिनमें खाद्य कीमतों में लगातार नरमी और बेहतर फसल उत्पादन से प्रेरित अनुकूल दृष्टिकोण शामिल हैं। जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से समग्र मूल्य स्तरों में गिरावट का रुझान रहने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि हेडलाइन महंगाई दर सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में औसत 2.6 प्रतिशत रह सकती है, जबकि पूरे वित्त वर्ष में यह 2.4 प्रतिशत रह सकती है।

जीएसटी सुधारों के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से घरेलू मांग में बढ़त देखने को मिल सकती है। हालांकि, टैरिफ के कारण विदेशी से आने वाली मांग पर असर देखने को मिल सकता है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि आरबीआई की संभावित ब्याज दरों में कटौती से न केवल घरेलू मांग में वृद्धि हो सकती है, बल्कि यह आर्थिक स्थिरता को भी बढ़ावा दे सकती है। हमें इस बदलाव को सकारात्मक रूप से देखना चाहिए, जिससे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
NationPress
15/09/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई कब ब्याज दरों में कटौती कर सकता है?
आरबीआई अक्टूबर और दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
खुदरा महंगाई दर कितनी है?
खुदरा महंगाई दर पिछले सात महीनों से आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे है।