क्या वैज्ञानिकों ने माना है कि 'शिशु और मां के बीच बॉन्डिंग की वजह ऑक्सीटोसिन है'?

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क्या वैज्ञानिकों ने माना है कि 'शिशु और मां के बीच बॉन्डिंग की वजह ऑक्सीटोसिन है'?

सारांश

इजरायली शोधकर्ताओं ने एक अद्भुत खोज की है, जिसमें उन्होंने बताया है कि ऑक्सीटोसिन नामक प्रोटीन शिशु और माता-पिता के बीच के बंधन को कैसे मजबूत करता है। यह अध्ययन भविष्य में ऑटिज्म जैसे मुद्दों को समझने में भी सहायक साबित हो सकता है।

Key Takeaways

  • ऑक्सीटोसिन शिशु और माता-पिता के बीच संबंध को मजबूत करता है।
  • शोध ने मस्तिष्क की गतिविधियों को समझने में मदद की है।
  • मादा चूहों में ऑक्सीटोसिन की गतिविधि में अधिक परिवर्तन होते हैं।
  • यह अध्ययन ऑटिज्म को समझने में सहायक हो सकता है।
  • प्रारंभिक जीवन के अनुभव भविष्य के सामाजिक व्यवहार को आकार देते हैं।

नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। इजरायली वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण प्रोटीन की पहचान की है जो शिशु और अभिभावकों के बीच के रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है। यह प्रोटीन ऑक्सीटोसिन है, जो माता-पिता से अलगाव का अनुभव करने पर शिशुओं को प्रभावित करता है। ऑक्सीटोसिन शिशुओं में विश्वास, प्रेम और सहानुभूति जैसी भावनाओं को विकसित करने में सहायक है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, वीजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोध टीम ने चूहों पर यह अध्ययन किया है और मस्तिष्क की विशिष्ट कोशिकाओं को शांत करने की एक गैर-आक्रामक विधि विकसित की है, जिससे नैचुरल व्यवहार प्रभावित नहीं होता।

इस तकनीक के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने यह समझा कि मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन की गतिविधि शिशुओं के अपनी माताओं से अलग होने के अनुभव को कैसे प्रभावित करती है।

ऑक्सीटोसिन को अक्सर 'प्यार का हार्मोन' कहा जाता है क्योंकि यह सामाजिक बंधन को बढ़ावा देने में सहायक होता है। जबकि अधिकांश अध्ययन वयस्कों पर केंद्रित रहे हैं, नए शोध से यह पता चलता है कि ऑक्सीटोसिन छोटे बच्चों पर भी प्रभाव डालता है।

अध्ययन में पाया गया कि जिन चूहों में ऑक्सीटोसिन सक्रिय था, वे अपनी माताओं से दूर रहने पर कम रोए और स्थिति के अनुकूल ढालने में सक्षम रहे। इसके विपरीत, जिन चूहों की ऑक्सीटोसिन प्रणाली निष्क्रिय थी, वे बेचैन रहे।

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि जिन चूहों में ऑक्सीटोसिन सक्रिय था, उनका व्यवहार अपनी माताओं से मिलने के बाद अलग था। वे कुछ अलग ध्वनियाँ निकाल रहे थे और पुनर्मिलन के बाद उनकी पुकार में बेचैनी के बजाय सुकून का अनुभव था।

शोधकर्ताओं ने मादा और नर चूहों (शिशु) के बीच प्रारंभिक अंतर भी खोजे। उन्होंने कहा कि मादा पिल्ले ऑक्सीटोसिन गतिविधियों में बदलाव से अधिक प्रभावित होती हैं।

यह अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि कैसे प्रारंभिक जीवन के अनुभव और मस्तिष्क का रसायन विज्ञान भविष्य के भावनात्मक और सामाजिक व्यवहार को आकार देते हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष यह संकेत देते हैं कि यह शोध भविष्य में ऑटिज्म जैसी स्थितियों को समझने में सहायक हो सकता है।

Point of View

यह अध्ययन हमें यह समझने में सहायता करता है कि कैसे शिशु और मां के बीच का बंधन हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक अनुसंधान हमेशा हमें नए दृष्टिकोण देता है और हमें भावनात्मक और सामाजिक व्यवहार को बेहतर समझने में मदद करता है।
NationPress
18/09/2025

Frequently Asked Questions

ऑक्सीटोसिन का क्या कार्य है?
ऑक्सीटोसिन एक हार्मोन है जो सामाजिक बंधनों को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह शिशुओं में विश्वास, प्रेम और सहानुभूति को विकसित करता है।
यह अध्ययन किस प्रकार के प्राणियों पर किया गया?
यह अध्ययन चूहों पर किया गया है, जिससे शिशुओं और अभिभावकों के बीच बंधन को समझा जा सके।
इस शोध का क्या महत्व है?
यह शोध हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रारंभिक जीवन के अनुभव और मस्तिष्क रसायन विज्ञान भावनात्मक और सामाजिक व्यवहार को कैसे प्रभावित करते हैं।
क्या ऑक्सीटोसिन का प्रभाव सिर्फ शिशुओं पर होता है?
नहीं, ऑक्सीटोसिन का प्रभाव वयस्कों पर भी होता है, लेकिन यह अध्ययन विशेष रूप से शिशुओं पर केंद्रित है।
इस अध्ययन से हमें क्या सीखने को मिलता है?
इस अध्ययन से हमें यह सीखने को मिलता है कि शिशु और मां के बीच के बंधन का भविष्य के भावनात्मक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है।