क्या पुतिन और जिनपिंग की बातचीत ने अमरत्व के सिद्धांत को नई दिशा दी?

सारांश
Key Takeaways
- पुतिन और जिनपिंग की वार्ता ने अमरत्व के सिद्धांत को पुनर्जीवित किया।
- औसत लाइफ एक्सपेक्टेंसी पिछले 200 वर्षों में बढ़ी है।
- ओल्शैंस्की का मानना है कि अधिकतम लाइफस्पैन लगभग 120 वर्ष है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लाइफस्पैन को प्रभावित कर सकती हैं।
- हमें स्वस्थ जीवन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हाल ही में एक दिलचस्प घटना सामने आई है। यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई एक बातचीत से जुड़ी है। एक हॉट माइक पर रिकॉर्ड हुई इस वार्ता में दोनों नेताओं ने कुछ ऐसा कहा कि दुनिया भर में इसकी चर्चा तेज हो गई। यह बातचीत बीजिंग में चीनी मिलिट्री परेड के दौरान हुई थी, जिसमें लाइफस्पैन पर चर्चा की गई। इसने ओल्शैंस्की के सिद्धांत को भी पुनः उजागर कर दिया।
इस बातचीत के दौरान, पुतिन के अनुवादक की आवाज सुनाई दी, जिसमें कहा गया, "मानव अंगों का लगातार प्रत्यारोपण संभव है। जितना अधिक आप जीते हैं, उतने ही युवा होते जाते हैं—और शायद अमरता भी प्राप्त की जा सकती है।"
इस बयान ने लाइफ एक्सपेक्टेंसी पर बहस को जन्म दिया है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या इंसान सच में 150 साल तक जी सकता है?
पिछले 200 वर्षों में औसत लाइफ एक्सपेक्टेंसी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 1800 के दशक में औसत उम्र लगभग 30 वर्ष थी, जबकि 2000 तक यह कई विकसित देशों में 80 वर्ष तक पहुँच गई। हालाँकि, हाल ही में आई एक अध्ययन ने 150 साल की उम्र के दावे को खारिज कर दिया है।
प्रसिद्ध जनसांख्यिकीविद् डॉ. एस. जय ओल्शैंस्की ने 2024 में प्रकाशित अपने शोध में कहा कि यह वृद्धि दर अब धीमी पड़ने लगी है — और संभवतः रुक भी सकती है।
ओल्शैंस्की ने रेड लाइन का सिद्धांत पेश किया और उम्र घटने के मुख्य कारणों में मोटापा, डायबिटीज, दिल की बीमारियाँ और सामाजिक असमानता को बताया। उनका मानना है कि मानव का अधिकतम लाइफस्पैन लगभग 120 वर्ष है, और इसे पार करना जैविक दृष्टि से बहुत कठिन है। औसत उम्र बढ़ सकती है, लेकिन सभी को 120 साल तक जीने योग्य बनाना असंभव है।
हालांकि स्वास्थ्य क्षेत्र में हमने कई सुधार किए हैं, लेकिन एजिंग को पूरी तरह रोकना अब तक संभव नहीं हो पाया है।
ओल्शैंस्की और अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि आधुनिक समाज ने जीवनशैली में सुधार नहीं किया, और स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया, तो भविष्य में लाइफस्पैन और कम हो सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें अब 'अमरत्व' की खोज छोड़कर स्वस्थ जीवन पर ध्यान देना चाहिए — अर्थात् हेल्थस्पैन को बढ़ाना है, न कि लाइफस्पैन को!