क्या 'सीसा' के संपर्क में आने से बच्चों की याददाश्त कमजोर हो सकती है?

सारांश
Key Takeaways
- लेड का बच्चों की याददाश्त पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- गर्भावस्था और बचपन में लेड के संपर्क से दिमागी विकास प्रभावित होता है।
- 4 से 6 साल के बच्चों में लेड का स्तर तेजी से भूलने की दर से जुड़ा है।
- नीतियों की आवश्यकता है जो बच्चों को लेड से बचाएं।
- शोध से भविष्य में लेड के अन्य प्रभावों को समझने का मार्ग प्रशस्त होता है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था और बचपन के प्रारंभिक वर्ष में लेड (सीसा) के संपर्क में आने से बच्चों की याददाश्त में कमी आ सकती है। इसका असर उनकी सीखने की क्षमता और दिमागी विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
अमेरिका के माउंट सिनाई के इकाह्न स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 6 से 8 साल के बच्चों की याददाश्त का आकलन करने के लिए एक विशेष परीक्षण, 'डिलेड मैचिंग-टू-सैंपल टास्क', का उपयोग किया।
इस अध्ययन में एक नया सांख्यिकीय मॉडल, 'नॉनलिनियर मॉडिफाइड पावर फंक्शन', का प्रयोग किया गया जो पहले जानवरों और मनुष्यों पर परीक्षण किया गया था, लेकिन अब इसे पर्यावरणीय स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए अनुकूलित किया गया है।
यह मॉडल शोधकर्ताओं को यह देखने में मदद करता है कि लेड का बच्चों की याददाश्त पर किस प्रकार का असर पड़ता है। यह जटिल जानकारियों को सरल और सटीक तरीके से समझाता है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि लेड की मात्रा और भूलने की दर के बीच क्या संबंध है। इस अनुसंधान से यह जानकारी मिलती है कि लेड बच्चों के दिमागी विकास को कैसे प्रभावित कर सकता है।
शोध में यह पाया गया कि 4 से 6 साल की उम्र में बच्चों के खून में लेड का स्तर (लगभग 1.7 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर) तेज़ी से भूलने की दर से संबंधित है। इसका अर्थ है कि जिन बच्चों के खून में लेड की मात्रा अधिक थी, वे दी गई जानकारी को जल्दी भुला देते हैं। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इकाह्न स्कूल के पर्यावरण चिकित्सा विभाग के शोधकर्ता रॉबर्ट राइट ने कहा, "याददाश्त हमारी सीखने की क्षमता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अध्ययन दर्शाता है कि लेड जैसे रसायन बच्चों की याददाश्त को नुकसान पहुंचा सकते हैं।"
इस अध्ययन के परिणाम भविष्य में यह समझने का मार्ग प्रशस्त करते हैं कि लेड जैसे पर्यावरणीय रसायन बच्चों के दिमाग के अन्य हिस्सों पर, जैसे ध्यान देने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता (एक्जीक्यूटिव फंक्शन), और पुरस्कार या प्रेरणा से संबंधित व्यवहार पर कैसे प्रभाव डालते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन बच्चों के दिमाग को स्थायी नुकसान से बचाने के लिए नीतियों को और मजबूत बनाता है। इसका मतलब है कि सरकार और समाज को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो बच्चों को लेड जैसे हानिकारक पदार्थों से बचाएं, जैसे कि पुराने पेंट या दूषित पानी के स्रोतों को ठीक करना। इससे बच्चों का दिमागी विकास सुरक्षित रहेगा और उनकी सीखने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।