क्या सिंगल ब्रेन स्कैन से 'स्टेटव्यूअर' 9 प्रकार के डिमेंशिया का पता लगा सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- स्टेटव्यूअर टूल डिमेंशिया का पता लगाने में सहायक है।
- यह टूल 88 प्रतिशत मामलों में सटीक निदान करता है।
- यह मस्तिष्क स्कैन की प्रक्रिया को दोगुना तेज करता है।
- डॉक्टरों को डिमेंशिया के कई प्रकारों को पहचानने में मदद करता है।
- यह न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों की पहचान में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल तैयार किया है, जो केवल एक बार के ब्रेन स्कैन के जरिए नौ प्रकार के डिमेंशिया का पता लगाने में सक्षम है। यह उपलब्धि न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों की प्रारंभिक पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस टूल, जिसे 'स्टेटव्यूअर' कहा जाता है, न केवल डिमेंशिया की त्वरित पहचान करता है, बल्कि 88 प्रतिशत मामलों में सटीक निदान भी उपलब्ध कराता है, जिसमें अल्जाइमर रोग भी शामिल है।
एक अध्ययन के अनुसार, यह टूल चिकित्सकों को सामान्य प्रक्रियाओं की तुलना में दोगुना तेज और तीन गुना अधिक सटीकता के साथ मस्तिष्क स्कैन की व्याख्या करने में सहायता करता है।
मेयो क्लिनिक के शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया और उससे संबंधित समस्याओं से पीड़ित 3,600 मरीजों के स्कैन परिणामों का एआई टूल के माध्यम से विश्लेषण किया।
डिमेंशिया का निदान करना कठिन होता है क्योंकि इसके लिए कई परीक्षणों की आवश्यकता होती है, जैसे कि कॉग्निटिव टेस्ट, रक्त परीक्षण, इमेजिंग, और क्लिनिकल इंटरव्यू। अल्जाइमर, लेवी बॉडी डिमेंशिया, और फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया जैसी बीमारियों को अलग-अलग पहचानना चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि उनके लक्षण कभी-कभी समान होते हैं।
डॉ. डेविड जोन्स कहते हैं कि हर मरीज जो उनके क्लिनिक में आता है, वह अपने मस्तिष्क की जटिलता से बनी एक अनोखी कहानी लेकर आता है, यानी हर व्यक्ति के डिमेंशिया के लक्षण और कारण अलग हो सकते हैं।
उन्होंने 'स्टेट व्यूअर' टूल के बारे में बताया, जो मेयो क्लिनिक के न्यूरोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम का हिस्सा है। यह टूल डिमेंशिया के उपचार को सरल और सटीक बनाने में मदद करता है। स्टेट व्यूअर स्कैन का विश्लेषण करता है, जो मस्तिष्क द्वारा ग्लूकोज के उपयोग को दर्शाता है, और इसे डिमेंशिया के पक्के मामलों के डेटाबेस से मिलाकर यह पता लगाता है कि मरीज को कौन सा डिमेंशिया है (जैसे अल्जाइमर, लेवी बॉडी, या फ्रंटोटेम्पोरल), जिससे चिकित्सकों को समस्याओं को समझने में आसानी होती है।
डॉ. जोन्स का कहना है कि स्टेटव्यूअर जल्द और सटीक इलाज के साथ भविष्य में डिमेंशिया जैसी बीमारियों का रुख बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अल्जाइमर, लेवी बॉडी डिमेंशिया और फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया जैसे रोग मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करते हैं। अल्जाइमर याददाश्त और सोचने-समझने वाले हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है। लेवी बॉडी डिमेंशिया ध्यान और हिलने-डुलने से जुड़े हिस्सों को प्रभावित करता है। फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया भाषा और व्यवहार के लिए जिम्मेदार हिस्सों को बदल देता है।
स्टेट व्यूअर टूल इन पैटर्न को रंग-कोडित ब्रेन मैप्स के जरिए प्रदर्शित करता है, जो मस्तिष्क की गतिविधियों के मुख्य क्षेत्रों को हाइलाइट करता है। यह चिकित्सकों, विशेषकर जिनके पास न्यूरोलॉजी में विशेष ज्ञान नहीं है, को यह समझने में मदद करता है कि एआई ने क्या देखा है और यह निदान को लेकर कैसे काम करता है।
दुनिया भर में 55 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से प्रभावित हैं और हर साल लगभग 1 करोड़ नए मामले सामने आते हैं। अल्जाइमर, जो सबसे सामान्य प्रकार है, अब दुनिया में मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण है।