क्या भारतीय वैज्ञानिकों ने हड्डी कैंसर का पता लगाने के लिए एक नया उपकरण विकसित किया है?

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क्या भारतीय वैज्ञानिकों ने हड्डी कैंसर का पता लगाने के लिए एक नया उपकरण विकसित किया है?

सारांश

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नया उपकरण विकसित किया है जो हड्डी कैंसर को प्रारंभिक चरण में पहचानने की क्षमता रखता है। यह स्वचालित डायग्नोस्टिक उपकरण ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

Key Takeaways

  • स्वचालित डायग्नोस्टिक उपकरण
  • हड्डी कैंसर की प्रारंभिक पहचान
  • ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उपयोगी
  • कम लागत वाला
  • आधुनिक तकनीक

नई दिल्ली, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के आईआईटी (बीएचयू) के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने एक छोटा, स्वचालित डायग्नोस्टिक उपकरण विकसित किया है जो हड्डी के कैंसर को प्रारंभिक चरण में अत्यधिक सटीकता से पहचानने में सक्षम है।

यह उपकरण अपने प्रकार का पहला सेंसर है, जो ऑस्टियोपॉन्टिन (ओपीएन) का पता लगाता है, जो कि हड्डी के कैंसर के लिए एक प्रमुख बायोमार्कर है।

स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के डॉ. प्रांजल चंद्रा के नेतृत्व में अनुसंधान टीम ने बताया कि यह उपकरण रसायनों के बिना कार्य करता है, इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है और यह आर्थिक भी है। उन्होंने बताया कि यह उपकरण ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बेहद लाभदायक है।

यह उपकरण ग्लूकोज मीटर की तरह कार्य करता है और सीमित संसाधनों वाली परिस्थितियों में भी त्वरित, सटीक और तत्काल पहचान करने में सक्षम है। यह सोने और रेडॉक्स-सक्रिय नैनो-मटेरियल से बनी एक कस्टम सेंसर सतह का उपयोग करता है।

प्रोफेसर चंद्रा ने कहा कि यह तकनीक कैंसर का पता लगाना आसान बनाती है और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त करती है। यह निष्कर्ष प्रतिष्ठित जर्नल नैनोस्केल (रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, यूके) में प्रकाशित किया गया है।

ओपीएन ओस्टियोसारकोमा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण बायोमार्कर है, जो हड्डी के कैंसर का एक अत्यधिक आक्रामक रूप है। यह मुख्यतः बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है।

मौजूदा तरीकों से ओपीएन की पहचान करना महंगा और समय लेने वाला है, लेकिन यह नया उपकरण कम समय में, कम संसाधनों के साथ तेज और सही परिणाम देता है।

इसे अभिकर्मक रहित इम्यूनोसेंसर के रूप में डिजाइन किया गया है, जो मौके पर और किफायती जांच को सक्षम बनाता है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और संसाधन-विवश क्षेत्रों में लाभकारी है, जहां कैंसर का पता लगाने में अक्सर देरी होती है।

भारत में कैंसर एक प्रमुख जन स्वास्थ्य चिंता का विषय है, जिसके मामलों की दर और मृत्यु दर में भारी वृद्धि हो रही है।

निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने इसे आम आदमी के लिए प्रौद्योगिकी का एक बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह सटीक चिकित्सा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में योगदान करता है। यह सरकार की मेक इन इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया पहलों के अनुरूप है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि पेटेंट के लिए आवेदन दायर कर दिया गया है और दूरस्थ स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच के लिए प्रोटोटाइप को स्मार्टफोन-कम्पैटिबल डायग्नोस्टिक किट में परिवर्तित करने के प्रयास चल रहे हैं।

Point of View

बल्कि यह ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता रखता है। ऐसे उपकरणों का विकास भारत की स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जो कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
NationPress
09/09/2025