क्या बांग्लादेश की एनसीपी जुलाई चार्टर पर हस्ताक्षर नहीं करेगी?
सारांश
Key Takeaways
- एनसीपी जुलाई चार्टर पर हस्ताक्षर की समीक्षा कर रही है।
- किसी भी पार्टी के दबाव में चार्टर को नहीं मिटाया जाएगा।
- जुलाई चार्टर में 80 से अधिक सुधार प्रस्ताव शामिल हैं।
- एनसीपी का संघर्ष कानूनी मान्यता पाने के लिए जारी रहेगा।
- गठबंधन पर अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है।
ढाका, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। छात्र आंदोलन से उत्पन्न नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) के सदस्य सचिव अख्तर हुसैन ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी जुलाई चार्टर पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेगी जब तक कि वे मसौदा कार्यान्वयन आदेश (ड्राफ्ट इम्प्लीमेंटेशन ऑर्डर) की समीक्षा नहीं कर लेते। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी पार्टी के दबाव में चार्टर को धोखे का हथियार नहीं बनाना चाहिए।
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, उन्होंने ये बातें शनिवार दोपहर को नेशनल पार्लियामेंट बिल्डिंग में एनसीपी प्रतिनिधियों और कंसेंसस कमीशन के बीच हुई बैठक के बाद कहीं। जुलाई चार्टर को लेकर यह बैठक शनिवार सुबह 10:15 बजे शुरू हुई थी।
अख्तर हुसैन ने कहा, “कमीशन ने हमें बताया कि जुलाई चार्टर को लागू करने के लिए एक ऑर्डर तैयार किया गया है, जिसे हम एक सकारात्मक कदम मानते हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक हमें ऑर्डर का विवरण नहीं दिया है, इसलिए हम इस समय सकारात्मक नहीं हो सकते।”
उन्होंने आगे कहा, “जुलाई चार्टर पर हस्ताक्षर करना केवल एक औपचारिकता है। हमने कमीशन को बताया है कि ड्राफ्ट ऑर्डर और उसका दायरा आम जनता के लिए स्पष्ट होना चाहिए। हम इनकी समीक्षा के बाद हस्ताक्षर करने का निर्णय लेंगे।” बिना किसी पार्टी का नाम लिए उन्होंने आरोप लगाया, “एक पार्टी जुलाई चार्टर को मिटाना चाहती है, और दूसरी इसे खराब करना चाहती है। हमने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी दबाव में चार्टर को धोखे का हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए।”
हुसैन ने कहा कि “हमारा संघर्ष जारी है ताकि जुलाई चार्टर को पूरी तरह से कानूनी आधार प्रदान किया जा सके। जब तक चार्टर को कानूनी मान्यता नहीं मिल जाती, हम अपनी कोशिशें जारी रखेंगे।”
एनसीपी के सदस्य सचिव ने कहा, “हम शापला सिंबल के तहत चुनाव लड़ना चाहते हैं। अब तक गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन संभव है।
जुलाई चार्टर 2024 की जुलाई क्रांति के बाद संवैधानिक, चुनावी और प्रशासनिक सुधारों पर एक समझौता है। इस आंदोलन की नींव पर ‘जुलाई नेशनल चार्टर’ में 80 से अधिक सुधार प्रस्तावों का खाका तैयार किया गया है। इसमें चुनाव प्रणाली, न्यायपालिका, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलावों की बात की गई है। हाल ही में करीब 30 दलों ने इस पर सहमति जताई लेकिन फिर भी एनसीपी ने समारोह का बहिष्कार किया था।