क्या ‘द स्पिरिट ऑफ योग’ कार्यक्रम योग का सही अर्थ बताएगा?

सारांश
Key Takeaways
- योग का असली अर्थ आंतरिक शांति है।
- ग्लोबल हारमनी हाउस में द स्पिरिट ऑफ योग कार्यक्रम आयोजित होगा।
- इसमें गणमान्य व्यक्तियों और आध्यात्मिक गुरु शामिल होंगे।
- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले यह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण पहल है।
- योग की आध्यात्मिक जड़ों को फिर से समझने का अवसर मिलेगा।
न्यूयॉर्क, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। जब वैश्विक स्तर पर बाहरी स्वास्थ्य जैसे शारीरिक फिटनेस और सौंदर्य पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, तब योग का असली अर्थ अंदर की शांति में निहित है। इसी बात को पुनः जागरूक करने के लिए अमेरिका में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह पहल उस समय हो रही है जब विश्वभर के शहर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) मनाने की तैयारी में हैं।
आयोजकों ने रविवार को एक बयान में कहा कि 22 जून को लॉन्ग आइलैंड में ग्लोबल हारमनी हाउस में ‘द स्पिरिट ऑफ योग’ नामक एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम ब्रह्मा कुमारिज वर्ल्ड स्पिरिचुअल ऑर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के अधिकांश समारोह शारीरिक आसनों और लचीलेपन के प्रभावशाली प्रदर्शन पर केंद्रित होते हैं, जबकि अमेरिका में आयोजित ‘द स्पिरिट ऑफ योग’ कार्यक्रम योग की सच्ची आत्मा को पुनः खोजने और इसकी गहरी आध्यात्मिक जड़ों पर ध्यान केंद्रित करने का एक अनूठा प्रयास है।
इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों, आध्यात्मिक गुरु और अभ्यासकर्ताओं की उपस्थिति होगी, जो हॉल में उपस्थित लगभग 250 साधकों को ज्ञान, प्रेरणा और यौगिक मूल्यों का जीवंत अनुभव प्रदान करेंगे। इसके अलावा, कई लोग वर्चुअल माध्यम से भी इसमें भाग लेंगे।
न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत बिनया श्रीकांत प्रधान मुख्य अतिथि होंगे, जो ब्रह्माकुमारीज अंतरराष्ट्रीय संगठन की मुख्य प्रशासनिक प्रमुख बीके मोहिनी दीदी की उपस्थिति में विश्व को भारत की ओर से दिए गए योग के उपहार पर चर्चा करेंगे।
ग्लोबल हारमनी हाउस एक आध्यात्मिक केंद्र है जो लोगों को शांति से बैठकर योग का अनुभव करने का अवसर देता है। यह ध्यान और आध्यात्मिक शिक्षाओं के माध्यम से शांति और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है। यह कार्यक्रम लोगों को योग को गहराई से समझने और उसे मनाने का मौका देगा।
संयुक्त राष्ट्र में ब्रह्माकुमारीज की एनजीओ प्रतिनिधि गायत्री नारायण ने कहा, "आज के व्यावसायिक स्वास्थ्य जगत में, योग को अक्सर फिटनेस तक सीमित कर दिया जाता है। लेकिन योग की असली भावना आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से अपने सर्वश्रेष्ठ स्वरूप और परमात्मा से जुड़ने के बारे में है।"
कार्यक्रम के सह-संचालक परवीन चोपड़ा ने कहा, "हम योग को एक ऐसे तरीके के रूप में देख रहे हैं जो जागरूकता, आत्म-साक्षात्कार और सद्भाव पर आधारित है। पतंजलि के अष्टांग योग में ध्यान सबसे महत्वपूर्ण है, आसन तो उसका एक छोटा सा हिस्सा हैं।"