क्या ग्रीन वाहन एडवाइजरी से एलपीजी और सीएनजी रेट्रो फिटमेंट इंडस्ट्री को मिलेगा बूस्ट?

सारांश
Key Takeaways
- सरकारी दिशा-निर्देशों से एलपीजी और सीएनजी किट इंस्टॉलेशन में सुधार होगा।
- पारदर्शिता और व्यापार सुगमता में वृद्धि होगी।
- नौकरशाही में कमी से उद्योग को लाभ होगा।
- आईएसी का जीएसटी में कमी का अनुरोध।
- पर्यावरण पर बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों का नकारात्मक प्रभाव।
मुंबई, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। वाहनों में एलपीजी और सीएनजी किट इंस्टॉलेशन के लिए वेरिफिकेशन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए जारी किए गए नए सरकारी दिशानिर्देशों का इंडियन ऑटो एलपीजी कोलिशन (आईएसी) ने बुधवार को स्वागत किया।
उद्योग निकाय ने बताया कि सरकार ने नए निर्देशों में एलपीजी और सीएनजी किट के लिए 'टाइप अप्रूवल' और 'लेआउट अप्रूवल' प्रमाण पत्र को ग्रीन वाहन सेवा पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य कर दिया है। यह वैकल्पिक ईंधन क्षेत्र में व्यापार सुगमता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
नवीनतम दिशानिर्देशों ने लंबे समय से चली आ रही नौकरशाही प्रक्रिया को समाप्त कर दिया है, जिसके अंतर्गत टाइप अप्रूवल प्रमाण पत्र धारकों को होलोमोलेशन प्रमाण पत्र की हार्ड कॉपी राज्य परिवहन आयुक्त कार्यालय को भेजनी होती थी और उसके बाद क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) से संपर्क करना पड़ता था।
पहले की जटिल प्रक्रिया के कारण देरी होती थी और फर्जी अनुमोदन भी संभव थे। इससे रेट्रो फिटमेंट उद्योग में काम कर रही एमएसएमई और एसएमई पर अनुपालन का भारी बोझ पड़ता था।
नए सिस्टम के तहत, वैकल्पिक ईंधन किटों का सत्यापन सीधे ग्रीन वाहन सेवा पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा, जिससे कई बार भौतिक रूप से प्रस्तुत करने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और प्रशासनिक खर्च में बड़ी कमी आएगी।
आईएसी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "इस बदलाव से पारदर्शिता बढ़ने, फर्जी अनुमोदन पर अंकुश लगने और निर्माताओं एवं किट आपूर्तिकर्ताओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है।"
इंडियन ऑटो एलपीजी कोलिशन के महानिदेशक सुयश गुप्ता ने कहा, "नौकरशाही की अनावश्यक परतों को हटाकर, सरकार ने टाइप अप्रूवल धारकों (जिनमें अधिकांश छोटे और मध्यम उद्यम हैं) को अंतहीन कागजी कार्रवाई के बजाय नवाचार और सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित करने का अधिकार दिया है।"
इसके अतिरिक्त, आईएसी ने सरकार से एलपीजी कन्वर्जन किटों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का अनुरोध किया, जो इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगे टैक्स के बराबर है।
उद्योग निकाय ने पहले कहा था कि बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी) के निर्माण, उपयोग और स्क्रैपिंग से हाइब्रिड और पारंपरिक इंजन कारों की तुलना में 15-50 प्रतिशत अधिक ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं।