क्या वीनू मांकड़ ने भारत की पहली टेस्ट विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?

सारांश
Key Takeaways
- वीनू मांकड़ ने 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत की पहली टेस्ट विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्होंने मैच में कुल 12 विकेट लिए, जो आज भी एक कीर्तिमान है।
- मांकड़ का नाम 'मांकड़िंग' के नियम से जुड़ा है, जो बल्लेबाजों के रनआउट करने के तरीके को दर्शाता है।
- उन्होंने केवल 61 वर्ष की आयु में इस संसार को अलविदा कहा।
- भारत सरकार ने उन्हें 1973 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना पहला टेस्ट 1932 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। पहली जीत दर्ज करने में टीम इंडिया को 20 साल का समय लगा। 1952 में भारत को अपनी पहली टेस्ट विजय मिली थी। यह जीत इंग्लैंड के खिलाफ ही हुई और इसके नायक थे वीनू मांकड़, जिन्हें भारतीय क्रिकेट इतिहास का महानतम ऑलराउंडर माना जाता है।
लगातार 20 साल तक टेस्ट क्रिकेट में हार झेलने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम 1952 में जब इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में उतरी, तो टीम का हौसला बुलंद था। इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया और पहली पारी में 266 पर सिमट गई। वीनू मांकड़ ने 8 विकेट लिए। भारतीय टीम ने पहली पारी में 9 विकेट पर 457 रन बनाकर पारी घोषित की, जिससे उन्हें 191 रन की बढ़त मिली।
दूसरी पारी में इंग्लैंड महज 183 रन पर ढेर हो गई। वीनू मांकड़ ने 4 विकेट लिए। भारत ने पारी और 8 रन से मैच जीतकर अपनी पहली टेस्ट जीत का स्वर्णिम अध्याय लिखा।
वीनू मांकड़ का जन्म 12 अप्रैल 1917 को जामनगर, गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम मुलवंतराय हिम्मतलाल 'वीनू' मांकड़ था। जून 1946 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट खेला। वीनू मांकड़ दाएं हाथ के बल्लेबाज और बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज थे।
मांकड़ के आंकड़े उन्हें टेस्ट क्रिकेट के महानतम ऑलराउंडर्स में शुमार करते हैं। वर्तमान में शीर्ष ऑलराउंडर भारत के रवींद्र जडेजा और इंग्लैंड के बेन स्टोक्स माने जाते हैं, लेकिन मांकड़ के आंकड़े उन्हें समय से बहुत आगे ले जाते हैं।
मांकड़ ने 1946 से 1959 के बीच भारत के लिए 44 टेस्ट खेले। 72 पारियों में 5 शतक और 6 अर्धशतक के साथ उन्होंने 2,109 रन बनाए, जिसमें सर्वाधिक स्कोर 231 रन था। इसके अलावा, 70 पारियों में गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 162 विकेट लिए। इस दौरान उन्होंने 8 बार पारी में 5 विकेट लेने का कीर्तिमान भी स्थापित किया।
इसके अलावा, 233 प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने 26 शतक लगाते हुए 11,591 रन बनाए और 782 विकेट लिए।
वीनू मांकड़ भारत के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने एक से लेकर ग्यारह नंबर तक बल्लेबाजी की है। भारत के लिए रवि शास्त्री और फारूख इंजीनियर ने भी 1 से 10 नंबर तक बल्लेबाजी की है, लेकिन 11 नंबर तक सिर्फ मांकड़ ने ही बल्लेबाजी की है।
वीनू मांकड़ के नाम पर 'मांकड़िंग' की शुरूआत हुई। 1947 में वीनू ने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बिल ब्राउन को रनआउट कर दिया था। वीनू गेंदबाजी कर रहे थे, जैसे ही ब्राउन क्रीज से बाहर निकले, वीनू ने उन्हें रनआउट कर दिया। हालांकि, वीनू ने ब्राउन को रनआउट करने से पहले चेतावनी दी थी। वीनू ने ब्राउन को दो बार इसी तरह आउट किया था। लंबे समय तक इस तरह का बल्लेबाजों को रन आउट किया जाना 'मांकड़िंग' के रूप में चर्चित रहा। आईसीसी ने अब यह नियम समाप्त कर दिया है।
मांकड़ के बेटे अशोक मांकड़ ने भी भारत के लिए 22 टेस्ट और 1 वनडे खेला। वहीं, उनके बेटे अतुल मांकड़ और राहुल मांकड़ भी प्रथम श्रेणी क्रिकेटर रहे हैं।
21 अगस्त 1978 को उनका महज 61 साल की उम्र में निधन हो गया था। भारत सरकार ने 1973 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।
वीनू मांकड़ के नाम पर बीसीसीआई राष्ट्रीय स्तर का अंडर-19 आयु वर्ग का एक दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन करती है।