क्या अंजू जैन भारत की सबसे भरोसेमंद विकेटकीपर हैं?

सारांश
Key Takeaways
- अंजू जैन भारतीय महिला क्रिकेट की एक प्रेरणादायक हस्ती हैं।
- उनके पिता ने क्रिकेट खेलने के लिए पढ़ाई को प्राथमिकता दी।
- उन्होंने महिला विश्व कप 2000 में कप्तानी की।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 441 रन बनाकर उन्होंने अपनी छाप छोड़ी।
- अंजू जैन का योगदान महिला क्रिकेट में अद्वितीय है।
नई दिल्ली, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अंजू जैन भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान और विकेटकीपर-बल्लेबाज रही हैं। उनका जन्म 11 अगस्त 1974 को हुआ। अंजू ने लगभग 12 वर्षों तक भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए टेस्ट और वनडे, दोनों फॉर्मेट में अद्भुत प्रदर्शन किया। वे अपनी उत्तम विकेटकीपिंग और स्थिर बल्लेबाजी के लिए प्रसिद्ध थीं।
रानी झांसी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करने के बाद, अंजू जैन को महिला विश्व कप 2000 के लिए भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। भारत सेमीफाइनल में पहुंचा, लेकिन मेजबान न्यूज़ीलैंड से हार गया।
अंजू भारतीय महिला टीम की सबसे भरोसेमंद विकेटकीपर में शुमार रहीं, लेकिन विकेटकीपिंग उनकी पहली पसंद नहीं थी। अंजू एक बल्लेबाज बनना चाहती थीं, लेकिन दिल्ली की जूनियर टीम में कोई विकेटकीपर नहीं था, इसलिए उन्होंने यह जिम्मेदारी स्वीकार की।
अंजू अपने आदर्श पूर्व विकेटकीपर सैयद किरमानी और किरन मोरे को मानती थीं और उनके नक्शेकदम पर चलने का निर्णय लिया।
हालांकि अंजू के परिवार ने उसे क्रिकेट खेलने की अनुमति दी, लेकिन इसके साथ पढ़ाई जारी रखने की शर्त भी थी। उनके पिता ने स्पष्ट कहा था कि यदि अंजू परीक्षा में फेल हुईं, तो उन्हें क्रिकेट खेलने से रोक दिया जाएगा। अंजू ने खेल और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाया और ग्रेजुएशन किया।
अंजू जैन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आठ टेस्ट खेले, जिसमें 12 पारियों में 36.75 की औसत के साथ 441 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से एक शतक और तीन अर्धशतक आए। उन्होंने वनडे फॉर्मेट में 65 मैच खेले, जिसमें 29.81 की औसत के साथ 1,729 रन बनाए।
अंजू ने टेस्ट क्रिकेट में 15 कैच लपकने के अलावा आठ स्टंपिंग कीं, जबकि वनडे फॉर्मेट में उन्होंने 30 कैच लेने के अलावा 51 बार खिलाड़ियों को स्टंप आउट किया।
अंजू जैन ने जुलाई 1993 से अप्रैल 2005 तक भारत की ओर से खेला। भारतीय क्रिकेट में उनके इस योगदान के लिए उन्हें 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया था।
अंजू जैन भारतीय टीम की चयन समिति की चेयरपर्सन रहीं। उन्होंने बांग्लादेश क्रिकेट टीम को कोचिंग भी दी है और विमेंस प्रीमियर लीग में भी बतौर कोच योगदान किया। भारतीय महिला क्रिकेट के विकास में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।