क्या एशेज सीरीज में कोंस्टास या लाबुशेन होना चाहिए? रिकी पोंटिंग की राय

सारांश
Key Takeaways
- एशेज सीरीज में कोंस्टास और लाबुशेन के चयन का महत्व।
- पोंटिंग की राय और उनकी चयन प्रक्रिया का दृष्टिकोण।
- सीरीज का प्रभाव आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप पर।
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच 21 नवंबर से एशेज सीरीज की शुरुआत होने जा रही है। इस श्रृंखला में सैम कोंस्टास और मार्नस लाबुशेन के टीम में चयन को लेकर चर्चाएँ तेज़ हो गई हैं। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग के अनुसार, एशेज के लिए टीम का चयन करना चयनकर्ताओं के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
इस सीरीज के संदर्भ में सबसे बड़ा प्रश्न मेज़बान टीम के बल्लेबाजी क्रम को लेकर है। प्रशंसक जानना चाहते हैं कि क्या युवा सैम कोंस्टास अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत में लगातार अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के बावजूद प्लेइंग इलेवन में अपनी जगह बनाए रख सकेंगे?
पोंटिंग का मानना है कि चयनकर्ताओं के समक्ष सबसे कठिन विकल्प यह है कि कोंस्टास को टीम में बनाए रखा जाए या अनुभवी मार्नस लाबुशेन को वापस लाकर उन्हें ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजी क्रम में उस्मान ख्वाजा के साथ शीर्ष पर रखा जाए।
पोंटिंग ने आईसीसी से कहा, "हम जानते हैं कि सैम कोंस्टास मौजूदा खिलाड़ी हैं, क्योंकि उन्होंने वेस्टइंडीज में पिछली सीरीज खेली थी, लेकिन उन्होंने शायद पहले दो (घरेलू) मैचों में उतना लाभ नहीं उठाया जितना उन्हें उठाना चाहिए था। इन खिलाड़ियों को टेस्ट टीम के चयन से पहले शायद अभी चार पारियां और खेलनी हैं, तब जाकर हमारे पास तस्वीर थोड़ी साफ होगी।"
उन्होंने कहा, "मार्नस लाबुशेन स्पष्ट रूप से एक विकल्प हैं। मार्नस अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के दौरान, सप्ताह के हर दिन ऑस्ट्रेलिया की सर्वश्रेष्ठ टीम में रहते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वह अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म हासिल नहीं कर पाए हैं। ऐसा लग रहा है कि अब राज्य स्तर पर वापसी करके, वह इसे फिर से हासिल करने लगे हैं। अब तो ऐसा ही लगने लगा है और वह रन बनाने को लेकर काफी आश्वस्त हैं। उन्होंने अपनी पिछली छह पारियों में चार शतक लगाए हैं। उनका प्रदर्शन अच्छा है, हालांकि अभी भी उन्हें काफी लंबा सफर तय करना है।"
यह सीरीज मौजूदा दौर में आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की रैंकिंग पर काफी असर डालेगी, जहां ऑस्ट्रेलिया का लक्ष्य दूसरा खिताब जीतना है। वहीं, इंग्लैंड की नजरें पहले खिताब पर हैं।