क्या एशियाई खेलों का उद्देश्य शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है?
सारांश
Key Takeaways
- एशियाई खेलों का उद्देश्य शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है।
- यह खेल महाकुंभ हर चार साल पर आयोजित होता है।
- चीन एशियाई खेलों में सबसे अधिक पदक जीतने वाला देश है।
- भारत ने कुल 672 पदक जीते हैं।
- एशियाई खेलों ने पारंपरिक खेलों को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नई दिल्ली, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एशियाई देशों में शांति और सद्भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एशियाई खेलों की शुरुआत की गई। 1951 में आरंभ हुआ यह खेलों का महाकुंभ विश्व के प्रमुख खेल आयोजनों में से एक है और इसका एक विशेष स्थान है। एशियाई खेलों को एशियाड के नाम से भी जाना जाता है।
1951 में एशियाई खेलों का पहला संस्करण नई दिल्ली में संपन्न हुआ था। हर चार साल पर ये खेल आयोजित होते हैं। इसका आयोजन एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) द्वारा किया जाता है, जिसमें ओसीए से मान्यता प्राप्त 45 देश भाग लेते हैं। अब तक के 19 संस्करणों में अगला संस्करण जापान के आइची और नागोया प्रांतों में 19 सितंबर से 4 अक्टूबर 2026 तक आयोजित होगा। भारत में 1951 के साथ-साथ 1982 में भी एशियाई खेलों का आयोजन हुआ था।
एशियाई खेलों में गोताखोरी, तैराकी, लयबद्ध तैराकी, वाटर पोलो, तीरंदाजी, कुश्ती, बैडमिंटन, क्रिकेट, साइक्लिंग, और फुटबॉल जैसे कई खेलों में प्रतिस्पर्धा होती है।
एशियाई खेलों के इतिहास में सबसे अधिक पदक जीतने वाला देश चीन है, जिसने 1,473 स्वर्ण, 994 रजत और 720 कांस्य सहित कुल 3,187 पदक प्राप्त किए। भारत ने 155 स्वर्ण, 201 रजत और 316 कांस्य सहित 672 पदक जीतकर पांचवें स्थान पर है।
इन खेलों में भाग लेने वाले एथलीट अपने देश का नाम रोशन करते हैं। एशियाई खेल एक ऐसा मंच है जो खिलाड़ियों को दौलत और शोहरत दिलाने का अवसर प्रदान करता है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी कॉमनवेल्थ और ओलंपिक खेलों में भी प्रतिस्पर्धा करते हैं।
एशियाई खेलों ने आधुनिक खेलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पारंपरिक खेलों को भी संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह आयोजन देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में भी सहायक है।