क्या बलबीर सिंह खुल्लर ने भारत को ओलंपिक में मेडल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?

सारांश
Key Takeaways
- बलबीर सिंह खुल्लर का जन्म 8 अगस्त 1942 को हुआ था।
- उन्होंने 1966 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
- वे 1968 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे।
- उन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से नवाजा गया।
- 28 फरवरी 2020 को उनका निधन हुआ।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बलबीर सिंह खुल्लर एक अद्वितीय भारतीय हॉकी खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने 1966 एशियाई खेलों में स्वर्ण और 1968 ओलंपिक में कांस्य पदक जीता। वे पंजाब पुलिस में डीआईजी के पद तक पहुंचे और हॉकी में उनके योगदान के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से नवाजा गया।
उनका जन्म 8 अगस्त 1942 को जालंधर जिले के प्रसिद्ध 'हॉकी गांव' संसारपुर में हुआ। बचपन से ही उन्हें इस खेल में गहरी रुचि थी। हॉकी स्टिक के साथ उनका कौशल बड़े खिलाड़ियों को भी चकित कर देता था।
बलबीर सिंह खुल्लर ने उस समय भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया जब भारतीय हॉकी अपने स्वर्णिम दौर में थी।
उन्होंने 1963 में पहला बड़ा टूर्नामेंट फ्रांस के ल्योन में खेला। टीम में एक ही नाम के खिलाड़ियों के चलते उन्हें 'बलबीर सिंह पंजाब' के नाम से जाना जाता था।
भारतीय टीम में इनसाइड फॉरवर्ड के रूप में बलबीर सिंह की पहचान बनी। उन्होंने बेल्जियम, इंग्लैंड, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और पश्चिम जर्मनी जैसे देशों का दौरा किया।
1966 में बलबीर सिंह एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाली भारतीय टीम के महत्वपूर्ण सदस्य रहे। इस टीम ने पाकिस्तान को 1-0 से हराया, जो कि एक ऐतिहासिक क्षण था।
उन्होंने 1968 ओलंपिक खेलों में भी भाग लिया, जहां भारत ने पूल स्टेज में सात में से छह मैच जीतकर शीर्ष स्थान प्राप्त किया। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारने के बाद, टीम ने वेस्ट जर्मनी को हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।
खुल्लर राष्ट्रीय टीम के चयनकर्ता भी रहे और पंजाब पुलिस में उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्हें 1999 में 'अर्जुन अवॉर्ड' और 2009 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया।
28 फरवरी 2020 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।