क्या भारतीय मुक्केबाज अंतरराष्ट्रीय युवा मुक्केबाजी प्रतियोगिता के लिए चीन पहुंचे?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की 59 सदस्यीय टीम चीन पहुंची है।
- अंतरराष्ट्रीय मुकाबले से खिलाड़ियों को अनुभव मिलेगा।
- प्रतियोगिता में 13 भार वर्ग हैं।
- भारतीय जूनियर मुक्केबाजों ने हाल ही में अच्छा प्रदर्शन किया है।
- यह आयोजन भारतीय मुक्केबाजी के विकास का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत की 59 सदस्यीय टीम अब चीन के शिनजियांग प्रांत के उरुमची शहर में पहुँच चुकी है। यहाँ, वे तीसरे "बेल्ट ऐंड रोड इंटरनेशनल यूथ बॉक्सिंग गाला" (अंडर-17/अंडर-19/अंडर-23 अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर और प्रतियोगिता) में भाग ले रहे हैं।
इस दल में 20 लड़के और 20 लड़कियां शामिल हैं। इनके साथ 12 कोच, 6 सहयोगी कर्मचारी और 1 रेफरी व जज भी गए हैं। इस आयोजन का संचालन चीनी बॉक्सिंग फेडरेशन और शिनजियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र की सरकार ने किया है। प्रशिक्षण शिविर 17 से 25 अगस्त तक चलेगा और प्रतियोगिताएं 26 से 29 अगस्त तक उरुमची और यीली में होंगी।
इस बार केवल अंडर-17 लड़के और लड़कियाँ ही भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इन खिलाड़ियों का चयन छठे यू-17 जूनियर बॉयज और गर्ल्स नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 से किया गया है। एशियन यूथ गेम्स में भार वर्गों में स्वर्ण और रजत पदक जीतने वाले तथा अन्य वर्गों में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ी इसमें शामिल किए गए हैं।
मुक्केबाज कई वर्गों में प्रतियोगिता करेंगे। अंडर-17 लड़के और लड़कियां 13 भार वर्गों में प्रतिस्पर्धा करेंगे - 46 किग्रा, 48 किग्रा, 50 किग्रा, 52 किग्रा, 54 किग्रा, 57 किग्रा, 60 किग्रा, 63 किग्रा, 66 किग्रा, 70 किग्रा, 75 किग्रा, 80 किग्रा और +80 किग्रा।
यह अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर और प्रतियोगिता भारतीय खिलाड़ियों को मजबूत विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने का अवसर प्रदान करेगा। इससे उन्हें बड़ा अनुभव और आत्मविश्वास मिलेगा।
हाल के महीनों में भारतीय जूनियर मुक्केबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया है। इस साल एशियन अंडर-15 और अंडर-17 चैम्पियनशिप में भारत ने कुल 43 पदक जीतकर टीम तालिका में दूसरा स्थान प्राप्त किया था।
इसी महीने बैंकॉक में हुई एशियन अंडर-19 और अंडर-22 चैम्पियनशिप में भारत ने 27 पदक जीते।
ये उपलब्धियां दर्शाती हैं कि भारत में जमीनी स्तर पर मुक्केबाजी लगातार मजबूत हो रही है और नई पीढ़ी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने की क्षमता रखती है।