क्या लाला अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के 'पितामह' हैं जिन्होंने शतक के साथ इतिहास रचा?

सारांश
Key Takeaways
- लाला अमरनाथ ने पहले भारतीय बल्लेबाज के रूप में टेस्ट क्रिकेट में शतक बनाया।
- उनका जीवन समर्पण और क्रिकेट के प्रति जुनून का प्रतीक है।
- उन्होंने कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा दी।
- उन्हें 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया।
- उनकी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट ने नई ऊंचाइयों को छुआ।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लाला अमरनाथ को भारतीय क्रिकेट के 'पितामह' के रूप में जाना जाता है। वे न केवल एक उत्कृष्ट बल्लेबाज थे, बल्कि एक कुशल कप्तान भी रहे। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात, उन्होंने अनेक युवा खिलाड़ियों को निखारा। लाला अमरनाथ पहले भारतीय कप्तान थे जिन्होंने आजाद भारत में टीम की कप्तानी की। उन्हें भारतीय क्रिकेट की नींव रखने वाले खिलाड़ियों में प्रमुखता से गिना जाता है।
11 सितंबर 1911 को कपूरथला में जन्मे नानिक अमरनाथ भारद्वाज पहले भारतीय बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में शतक बनाया। उन्होंने यह उपलब्धि 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ हासिल की।
यह लाला अमरनाथ का डेब्यू मैच था। मुंबई में दिसंबर में खेले गए इस मैच की पहली पारी में अमरनाथ 38 रन पर आउट हुए। भारत ने उस पारी में केवल 219 रन बनाए।
इंग्लैंड ने पहली पारी में ब्रायन वेलेंटाइन (136) की मदद से 438 रन बनाए। इस पारी में मोहम्मद निसार ने पांच विकेट लिए।
भारत की दूसरी पारी में लाला अमरनाथ ने 118 रन बनाकर सीके नायडू (67) के साथ तीसरे विकेट के लिए 186 रन की साझेदारी की, लेकिन टीम को 258 रन से आगे नहीं बढ़ा सके। इंग्लैंड ने दूसरी पारी में 40/1 का स्कोर बनाते हुए नौ विकेट से मैच जीत लिया।
लाला अमरनाथ ने 24 टेस्ट में 24.38 की औसत से 878 रन बनाए, जिसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, 186 फर्स्ट क्लास मैचों में उनकी औसत 41.37 रही, जिसमें 31 शतक और 39 अर्धशतक शामिल हैं।
लाला अमरनाथ के बेटे मोहिंदर अमरनाथ और सुरेंद्र अमरनाथ ने भारत के लिए खेला, जबकि राजिंदर अमरनाथ ने फर्स्ट क्लास और लिस्ट-ए मैच खेले। उन्हें 1991 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया। 5 अगस्त 2000 को इस महान क्रिकेटर ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जीवन समर्पण, साहस और क्रिकेट के प्रति जुनून का प्रतीक है।