क्या बॉडीलाइन सीरीज क्रिकेट के इतिहास का 'काला अध्याय' है, जिसने नियमों में बदलाव किया?
सारांश
Key Takeaways
- बॉडीलाइन सीरीज क्रिकेट की दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ थी।
- इसने खिलाड़ियों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को उजागर किया।
- क्रिकेट नियमों में बड़े बदलावों की आवश्यकता पड़ी।
- यह सीरीज खेल भावना के खिलाफ थी।
- इंग्लैंड ने सीरीज में स्पष्ट जीत हासिल की।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। 1882 में एशेज सीरीज की शुरुआत ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मुकाबलों को रोमांचक बना दिया था, लेकिन 1932-33 में खेली गई सीरीज को आज तक क्रिकेट के काले अध्यायों में गिना जाता है। इसे 'बॉडीलाइन सीरीज' के नाम से जाना जाता है। इस सीरीज के चलते क्रिकेट नियमों में भी बदलाव करने पड़े।
इंग्लैंड के कप्तान डगलस जार्डिन ने ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन को रोकने के लिए 'बॉडीलाइन' रणनीति का सहारा लिया। इसमें गेंदबाज का निशाना विकेट की बजाय बल्लेबाज की बॉडी थी।
ऑस्ट्रेलिया में खेली गई इस सीरीज में इंग्लैंड के गेंदबाज हेरोल्ड लॉरवुड और बिल वोज अपनी तेज गेंदों को बल्लेबाजों के शरीर को टारगेट करके फेंकते थे, ताकि बल्लेबाज या तो डिफेंसिव शॉट खेले, या फिर गलत शॉट खेलकर कैच आउट हो जाएं। लेग साइड पर कई फील्डर्स तैनात किए गए थे, ताकि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के लिए रन बनाना मुश्किल हो जाए।
हालांकि, यह रणनीति उस समय क्रिकेट के नियमों का उल्लंघन नहीं करती थी, लेकिन यह खेल भावना के खिलाफ थी और बल्लेबाजों की सुरक्षा के लिए खतरा बनी। परिणामस्वरूप, कई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को गंभीर चोटें आईं। हेरोल्ड लॉरवुड की एक गेंद ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बर्ट ओल्डफील्ड को लगी, जिससे वह मैदान पर गिर पड़े।
इस दौरान, स्थानीय दर्शकों और इंग्लैंड की टीम के बीच तनाव बढ़ गया और पुलिस को तैनात करना पड़ा। इसके बाद, दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों में तनाव देखा गया।
इस पूरी सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज रन बनाने के लिए संघर्ष करते नजर आए और अंततः इंग्लैंड ने सीरीज 4-1 से अपने नाम कर ली।
इंग्लैंड ने सीरीज का पहला मैच 10 विकेट से जीता। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने वापसी करते हुए दूसरे टेस्ट को 111 रन से जीतकर सीरीज को 1-1 से बराबरी पर ला दिया।
इंग्लैंड ने तीसरा मुकाबला 338 रन से जीतकर फिर से बढ़त बनाई। इसके बाद, बिस्बेन में चौथा टेस्ट 6 विकेट से जीतकर और सिडनी में पांचवां और अंतिम मुकाबला 8 विकेट से अपने नाम किया।
ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) को इस रणनीति के खिलाफ विरोध जताया, जिसके परिणामस्वरूप क्रिकेट के नियमों में बड़े बदलाव किए गए। इस सीरीज के बाद से लेग साइड फील्ड सेटअप और शॉर्ट पिच गेंदबाजी पर बैन लगा दिया गया।