क्या चंदू बोर्डे केवल एक क्रिकेटर ही नहीं, बल्कि 'रियल लाइफ हीरो' भी हैं?

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क्या चंदू बोर्डे केवल एक क्रिकेटर ही नहीं, बल्कि 'रियल लाइफ हीरो' भी हैं?

सारांश

चंदू बोर्डे, भारत के एक महान क्रिकेटर, न केवल अपने बल्ले और गेंद से, बल्कि अपने मानवीय कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं। जानिए उनकी अनोखी कहानी और क्रिकेट में उनके योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • चंदू बोर्डे का जन्म 21 जुलाई 1934 को पूना में हुआ था।
  • उन्होंने 1952 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया।
  • वह एक कुशल बल्लेबाज और गेंदबाज थे।
  • उन्होंने 3,061 टेस्ट रन बनाए और 52 विकेट लिए।
  • उनकी मानवता का परिचय नारी कॉन्ट्रैक्टर की मदद करके मिला।

नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। चंदू बोर्डे 1950 से 1960 के दशक में भारत के प्रमुख क्रिकेटरों में से एक रहे। वह एक कुशल मध्यक्रम के बल्लेबाज और लेग स्पिन गेंदबाजी में माहिर थे। इसके साथ ही, वह एक उत्कृष्ट फील्डर भी थे।

21 जुलाई 1934 को पूना में जन्मे चंदू बोर्डे ने 1952 में महाराष्ट्र की ओर से बॉम्बे के खिलाफ प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपने करियर की शुरुआत की। उस मैच में उन्होंने अर्धशतक बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

अगले सीजन में, चंदू बोर्डे ने अपने गेंदबाजी कौशल का प्रदर्शन करते हुए पांच विकेट लिए। इसके बाद उन्होंने बड़ौदा की टीम में भी खेला।

नवंबर 1958 में, चंदू बोर्डे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल का मौका मिला। उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला, लेकिन प्रारंभिक मैचों में असफल रहने के बाद उन्हें तीसरे मैच से बाहर कर दिया गया।

बहरहाल, उन्हें चौथे टेस्ट में खेलने का अवसर मिला। दूसरी पारी में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए बोर्डे ने 56 रन बनाए और तीन विकेट भी लिए, हालांकि भारतीय टीम ने वह मैच 295 रन से गंवाया।

सीरीज के पांचवें टेस्ट में, उन्होंने अपनी बल्लेबाजी क्षमता का अद्भुत नमूना पेश किया। पहली पारी में उन्होंने शतक बनाया और दूसरी पारी में 96 रन बनाए। इस दौरान वह 'हिट विकेट' आउट हो गए। यह मैच ड्रॉ रहा, लेकिन बोर्डे ने अपनी छाप छोड़ी।

1967-68 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, चंदू बोर्डे को मंसूर अली खान पटौदी की अनुपस्थिति में टीम की कप्तानी करने का अवसर मिला। कप्तान के रूप में उन्होंने 69 रन बनाये, लेकिन टीम को 146 रनों से हार का सामना करना पड़ा।

चंदू बोर्डे न केवल एक महान खिलाड़ी रहे हैं, बल्कि एक बेहतरीन इंसान भी हैं।

साल 1962 में, भारत और वेस्टइंडीज के बीच एक टेस्ट मैच के दौरान, वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ की बाउंसर भारतीय कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर के सिर पर लगी। यह घटना क्रिकेट की दुखद घटनाओं में से एक मानी जाती है। नारी जीवन और मौत के बीच झूलते रहे, और चंदू बोर्डे ने उनकी जान बचाने के लिए तुरंत अपना ब्लड डोनेट किया। इस प्रयास में वेस्टइंडीज के कप्तान फ्रैंक वॉरेल भी शामिल थे।

चंदू बोर्डे ने 1969 तक अपने टेस्ट करियर में कुल 55 मैच खेले, जिसमें 97 पारियों में 35.59 की औसत से 3,061 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से पांच शतक और 18 अर्धशतक निकले। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 52 विकेट भी हासिल किए।

उनका फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर भी शानदार रहा। उन्होंने 251 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 40.91 की औसत से 12,805 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 30 शतक और 72 अर्धशतक बनाये और 27.32 की औसत से 331 विकेट चटकाए।

Point of View

बल्कि एक इंसान की भी है। उन्होंने न सिर्फ क्रिकेट में अपनी उत्कृष्टता साबित की, बल्कि मानवता के प्रति उनकी संवेदनशीलता ने उन्हें एक असली हीरो बना दिया। यह भारतीय क्रिकेट के इतिहास में महत्वपूर्ण है कि हम ऐसे लोगों को मान्यता दें।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

चंदू बोर्डे का जन्म कब हुआ था?
चंदू बोर्डे का जन्म 21 जुलाई 1934 को पूना में हुआ था।
चंदू बोर्डे ने अपना पहला टेस्ट मैच कब खेला?
चंदू बोर्डे ने 1958 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला।
चंदू बोर्डे ने टेस्ट क्रिकेट में कितने रन बनाए?
चंदू बोर्डे ने टेस्ट क्रिकेट में कुल 3,061 रन बनाए।
चंदू बोर्डे ने कितने विकेट लिए?
उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 52 विकेट लिए।
चंदू बोर्डे का फर्स्ट क्लास करियर कैसा रहा?
उन्होंने 251 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 12,805 रन बनाए और 331 विकेट लिए।