क्या स्टुअर्ट ब्रॉड ने इंजरी रिप्लेसमेंट नियमों की वकालत की?

सारांश
Key Takeaways
- क्रिस वोक्स की चोट ने चर्चा को बढ़ावा दिया।
- स्टुअर्ट ब्रॉड का सुझाव खेल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए है।
- रिप्लेसमेंट नियमों में बदलाव की आवश्यकता पर चर्चा हो रही है।
- पूर्व क्रिकेटर दिनेश कार्तिक ने भी समर्थन किया है।
- वर्तमान आईसीसी नियमों के तहत कुछ शर्तें लागू हैं।
नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। इंग्लैंड के टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी क्रिस वोक्स की कंधे की चोट ने टेस्ट क्रिकेट में इंजरी रिप्लेसमेंट के नियमों पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने इन रिप्लेसमेंट नियमों का समर्थन किया है और कहा है कि इससे क्रिकेट की गुणवत्ता में सुधार होगा।
वोक्स ओवल में भारत के खिलाफ पांचवे और आखिरी टेस्ट के पहले दिन फील्डिंग करते वक्त चोटिल हुए थे।
इससे पहले, भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर टेस्ट के पहले दिन भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत भी चोटिल हो गए थे। पंत ने दूसरे दिन मैदान पर लौटकर साहस दिखाया, लेकिन उन्होंने केवल बल्लेबाजी की। विकेटकीपर के रूप में ध्रुव जुरेल को मैदान में लाया गया, लेकिन आईसीसी के नियमों के चलते पंत दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
स्टुअर्ट ब्रॉड ने स्काई स्पोर्ट्स पर तर्क दिया कि क्रिकेट में 11-11 खिलाड़ियों के अनुपात को बनाए रखना महत्वपूर्ण है, खासकर जब चोटें असामान्य हो। उनका मानना है कि इससे मैच की गुणवत्ता और स्तर में सुधार होगा। ब्रॉड ने कहा कि समान संख्या में खिलाड़ियों का होना खेल का संतुलन बनाए रखता है।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर दिनेश कार्तिक भी चोट के कारण रिप्लेसमेंट के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैच रेफरी सहमत हों, तो टेस्ट मैच में चोट के कारण रिप्लेसमेंट की मांग की जा सकती है।
इस सीरीज में दूसरी बार, टेस्ट मैच के पहले दिन ऐसी चोट लगी है जिससे खिलाड़ी की पूरे मैच से उपलब्धता प्रभावित हुई है।
कार्तिक ने कहा, "यह सवाल उठता है कि अगर यह असली चोट है, जैसा कि हमने वोक्स के साथ देखा है, तो टीम मैच रेफरी को उचित लगे तो रिप्लेसमेंट की मांग की जा सकती है।"
वर्तमान आईसीसी नियमों के अनुसार, रिप्लेसमेंट केवल कन्कशन या कोविड-19 जैसे खास मामलों में ही स्वीकार्य है और इसमें भी कुछ शर्तें लागू हैं।