क्या देबाशीष मोहंती ने टीम इंडिया में अपनी अनोखी स्विंग बॉलिंग से कमाल किया?

सारांश
Key Takeaways
- देबाशीष मोहंती का गेंदबाजी एक्शन अद्वितीय था।
- उन्होंने 1997 से 2001 के बीच 45 वनडे खेले।
- स्विंग गेंदबाजी ने उन्हें पहचान दिलाई।
- कोचिंग में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- ओडिशा क्रिकेट को नई दिशा दी।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 1997 में एक तेज गेंदबाज ने टेस्ट में पदार्पण किया था। श्रीलंका के खिलाफ खेले गए उस मैच में पहली पारी में ही चार बल्लेबाजों को आउट कर इस गेंदबाज ने अद्भुत प्रदर्शन किया। हालांकि, डेब्यू टेस्ट में शानदार गेंदबाजी के बावजूद, अगले टेस्ट में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। यह गेंदबाज थे देबाशीष मोहंती.
देबाशीष मोहंती का जन्म ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में 20 जुलाई 1976 को हुआ था। मोहंती का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचना ओडिशा क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। उन्होंने अपने पहले घरेलू सीजन में जोरदार गेंदबाजी का प्रदर्शन किया, जिसके कारण वह भारतीय टीम में शामिल हुए।
मोहंती ने 1997 में पहले टेस्ट और फिर वनडे में पदार्पण किया। उन्हें टेस्ट खेलने का बहुत कम अवसर मिला और वह केवल दो टेस्ट मैचों में खेल पाए, जिसमें उन्होंने चार विकेट लिए। वहीं, वनडे क्रिकेट में उन्हें अधिक सफलता मिली।
वनडे में उन्होंने वेंकटेश प्रसाद और जवागल श्रीनाथ के साथ एक सफल गेंदबाजी जोड़ी बनाई।
देबाशीष मोहंती का गेंदबाजी एक्शन इतना प्रसिद्ध हो गया कि 1999 के वर्ल्ड कप के लोगो के पीछे इसी एक्शन को प्रेरणा के रूप में लिया गया। इस विश्व कप में उनकी स्विंग गेंदबाजी के कारण उन्हें भारतीय टीम में स्थान मिला, और वह श्रीनाथ के बाद भारत के लिए दूसरे सबसे सफल गेंदबाज बने, हालांकि उन्होंने श्रीनाथ से चार मैच कम खेले थे।
1998 में अजीत अगरकर ने भारतीय टीम में डेब्यू किया। वनडे क्रिकेट में अगरकर प्रभावी साबित हो रहे थे, जिससे मोहंती के लिए टीम में वापसी करना कठिन हो गया। मोहंती को 2001 के बाद कभी भी भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।
मोहंती निचले क्रम पर ऐसे बल्लेबाज भी थे जो शॉट्स खेलना पसंद करते थे, लेकिन उनकी पहचान एक विस्फोटक बल्लेबाज के रूप में नहीं बन पाई। उन्हें उनकी स्विंग बॉलिंग के लिए हमेशा याद किया जाता है। 1997 से 2001 के बीच, मोहंती ने भारत के लिए 2 टेस्ट और 45 वनडे खेले, जिसमें उन्होंने टेस्ट में 4 और वनडे में 57 विकेट लिए।
2010 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। संन्यास के बाद, मोहंती कोचिंग में सक्रिय रहे। 2018 में, उन्होंने जूनियर भारतीय टीम के चयनकर्ता के रूप में कार्य किया। बाद में, उन्हें भारतीय टीम का चयनकर्ता बनाया गया। 2011 से 2016 तक, वह ओडिशा के कोच रहे। 2022 में उनकी कोचिंग में पूर्वी क्षेत्र ने अपनी पहली दिलीप ट्रॉफी जीती थी।