क्या देवांग गांधी ने हर परिस्थिति में क्रिकेट और देश के लिए अपना बेस्ट दिया?

सारांश
Key Takeaways
- देवांग गांधी का अंतरराष्ट्रीय करियर छोटा रहा, लेकिन उन्होंने क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- उन्होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें 16 शतक शामिल हैं।
- उनकी मेहनत ने कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया।
- देवांग गांधी ने 2004 में देवधर ट्रॉफी जीतने में कप्तानी की।
- उन्होंने 2006 में क्रिकेट से संन्यास लिया, लेकिन खेल के प्रति उनका प्यार कभी कम नहीं हुआ।
नई दिल्ली, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देवांग गांधी भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने अपनी अद्वितीय खेल प्रतिभा से सबका ध्यान आकर्षित किया। एक दाहिने हाथ के बल्लेबाज के रूप में, उन्होंने घरेलू क्रिकेट में असाधारण रन बनाए और भारतीय टीम की जर्सी पहनने का सपना पूरा किया। हालांकि, चार टेस्ट में दो अर्धशतक बनाने के बावजूद उनका अंतरराष्ट्रीय करियर अपेक्षाकृत छोटा रहा।
6 सितंबर 1971 को गुजरात के भावनगर में जन्मे देवांग गांधी ने 1994/95 में बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट
देवांग एक उत्कृष्ट बल्लेबाज थे और उन्होंने बंगाल के लिए कई महत्वपूर्ण पारियां खेलीं। इसी कारण, उन्हें अक्टूबर 1999 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण का अवसर मिला।
मोहाली में न्यूजीलैंड के खिलाफ, भारत ने पहले बल्लेबाजी की। देवांग को सलामी बल्लेबाज के रूप में सदागोप्पन रमेश के साथ उतारा गया, लेकिन 13 गेंदों का सामना करने के बाद उन्होंने विकेटकीपर एडम परोरे को कैच थमा दिया। उस पारी में भारत महज 83 रन पर सिमट गया।
हालांकि, जवागल श्रीनाथ ने शानदार प्रदर्शन करते हुए छह विकेट लेकर न्यूजीलैंड की पहली पारी को 215 रन पर समेट दिया। देवांग को अपनी डेब्यू पारी में खाता न खुलने का अफसोस था, लेकिन अगली पारी में उन्होंने इस कमी को पूरा किया। उन्होंने 242 गेंदों पर 75 रन बनाए, जिसमें छह चौके शामिल थे।
दूसरे टेस्ट में देवांग ने फिर से अर्धशतक बनाया। उन्होंने 186 गेंदों में 88 रन की पारी खेली और पहले विकेट के लिए 162 रन की साझेदारी की। भारत ने यह मैच 8 विकेट से जीत लिया।
इस सीरीज में देवांग ने तीन टेस्ट की सात पारियों में 200 रन बनाए, जिसके बाद उन्हें 1999-2000 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुना गया। हालांकि, एडिलेड टेस्ट में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा और वह जल्द ही टीम से बाहर हो गए।
घरेलू क्रिकेट में उन्होंने 95 फर्स्ट क्लास मैचों में 42.73 की औसत से 6,111 रन बनाए, जिसमें 16 शतक और 27 अर्धशतक शामिल हैं।
देवांग गांधी ने 2004 में ईस्ट जोन की कप्तानी में देवधर ट्रॉफी जीती। 2006 में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संन्यास ले लिया। हालांकि उनका अंतरराष्ट्रीय सफर छोटा रहा, लेकिन उन्होंने क्रिकेट के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी और राष्ट्रीय चयन समिति के सदस्य बनकर कई युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया।