क्या दिलीप टिर्की ने अपने पिता से मिली हॉकी की विरासत से देश का नाम रोशन किया?

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क्या दिलीप टिर्की ने अपने पिता से मिली हॉकी की विरासत से देश का नाम रोशन किया?

सारांश

दिलीप टिर्की, भारतीय हॉकी के पूर्व कप्तान, ने खेल में अद्वितीय योगदान दिया है। उनकी कहानी प्रेरणा और संघर्ष की है। जानें कैसे उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और देश को ओलंपिक में प्रतिनिधित्व किया।

Key Takeaways

  • दिलीप टिर्की ने भारतीय हॉकी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
  • उन्होंने तीन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
  • उन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री जैसे पुरस्कार मिले।
  • दिलीप युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
  • उनकी कहानी संघर्ष और सफलता का प्रतीक है।

नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की ने इस खेल में देश का नाम ऊंचा किया है। क्रीड़ा और प्रशासन दोनों क्षेत्रों में सक्रिय दिलीप युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

25 नवंबर 1977 को ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के एक आदिवासी परिवार में जन्मे दिलीप के पिता, विंसेंट टिर्की, एक रिजर्व पुलिस बल के सिपाही थे।

विंसेंट टिर्की एक राज्य-स्तरीय हॉकी खिलाड़ी थे। दिलीप ने अपने पिता के अनमोल गुणों को विरासत में पाया। उनके पिता ने बचपन में उन्हें पहली बार स्टिक थमाई थी।

साल 1989 में एक टैलेंट हंट कार्यक्रम के दौरान दिलीप को स्पोर्ट्स हॉस्टल में चुना गया। सौनरामुरा गांव से निकलकर उन्होंने सुंदरगढ़ में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) हॉस्टल में प्रवेश किया। इसके बाद उन्होंने नेहरू कप हॉकी टूर्नामेंट और राष्ट्रीय जूनियर टीम में स्थान प्राप्त किया। 1994 में दिलीप इंडियन हॉकी जूनियर टीम में शामिल हो गए।

लगभग एक वर्ष बाद, उन्हें इंदिरा गांधी गोल्ड कप के लिए सीनियर पुरुष टीम में स्थान मिला। बतौर डिफेंडर उन्होंने इस टूर्नामेंट में अद्भुत प्रदर्शन किया।

दिलीप टिर्की को 1996 के अटलांटा ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में चुना गया। इसके बाद, 2004 के एथेंस ओलंपिक में उन्होंने भारतीय टीम की कप्तानी की।

दिलीप ने 1995 से 2010 के बीच 412 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले, जिसमें उन्होंने तीन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

दिलीप उस टीम का हिस्सा थे जिसने एशियन गेम्स 1998 में गोल्ड मेडल और एशियन गेम्स 2002 में सिल्वर मेडल जीते। इसके बाद, उनकी उपस्थिति में भारतीय टीम ने एशिया कप 2003 और 2007 में भी गोल्ड मेडल हासिल किए।

हॉकी में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिलीप को 2002 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2004 में उन्हें पद्म श्री से नवाजा गया। 2022 में, वे हॉकी इंडिया के अध्यक्ष चुने गए।

Point of View

बल्कि एक प्रेरणाश्रोत की है। उनके संघर्ष और सफलता ने न केवल भारतीय हॉकी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है, बल्कि युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया है। उनकी उपलब्धियाँ और नेतृत्व कौशल इस बात का प्रमाण हैं कि समर्पण और मेहनत से हर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
NationPress
24/11/2025

Frequently Asked Questions

दिलीप टिर्की को कब ओलंपिक में खेलना शुरू किया?
दिलीप टिर्की को 1996 के अटलांटा ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में चुना गया था।
दिलीप टिर्की ने कितने ओलंपिक में भाग लिया?
उन्होंने तीन ओलंपिक खेलों में भाग लिया, जिनमें 1996, 2000, और 2004 शामिल हैं।
दिलीप टिर्की को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
उन्हें 2002 में 'अर्जुन पुरस्कार' और 2004 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया।
दिलीप टिर्की का जन्म कब हुआ था?
उनका जन्म 25 नवंबर 1977 को ओडिशा के सुंदरगढ़ में हुआ था।
दिलीप टिर्की की खेल यात्रा कैसे शुरू हुई?
उनकी खेल यात्रा तब शुरू हुई जब उनके पिता ने उन्हें पहली बार हॉकी स्टिक थमाई।
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