क्या मांजरेकर का कहना है कि लॉर्ड्स में गिल का आक्रामक रवैया उनकी बल्लेबाजी को नुकसान पहुँचा गया?

सारांश
Key Takeaways
- संजय मांजरेकर का गिल के आक्रामक रवैये पर ध्यान केंद्रित करना
- लॉर्ड्स टेस्ट में गिल की असफलता
- विराट कोहली के प्रदर्शन की तुलना
- भारतीय खिलाड़ियों के विदेशी टीमों के साथ व्यवहार
- गिल का आत्मविश्वास और उसकी आवश्यकता
नई दिल्ली, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर का मानना है कि शुभमन गिल ने जैक क्रॉली के साथ बहस में अपनी उग्रता दिखाई, लेकिन इसका उनकी बल्लेबाजी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा, जिसके चलते भारत को लॉर्ड्स टेस्ट में 22 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
लॉर्ड्स टेस्ट में गिल और क्रॉली के बीच की तीखी बहस ने तीसरे दिन के खेल को रोमांचक बना दिया। इंग्लैंड ने चौथे दिन इसका बदला लिया। गिल 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए अंत में बल्लेबाजी के लिए आए। गिल क्रीज पर असहज दिखे और ब्रायडन कार्से की गेंद पर महज छह रन बनाकर आउट हो गए। गिल ने उस समय अपना विकेट गंवा दिया जब टीम लगातार संघर्ष कर रही थी और एक अच्छी साझेदारी की आवश्यकता थी।
संजय मांजरेकर ने विराट कोहली की तुलना में शुभमन गिल की मानसिकता पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि कोहली दबाव में और बेहतर प्रदर्शन करते थे, जबकि गिल का उग्र रवैया, जैसे क्रॉली के साथ बहस, उनकी बल्लेबाजी पर नकारात्मक असर डाल रहा है।
मांजरेकर ने ईएसपीएनक्रिकइन्फो पर कहा कि शुभमन गिल के लिए जैक क्रॉली के साथ बहस एक नया अनुभव था। उन्होंने बताया कि भारतीय खिलाड़ियों को आजकल विदेशी टीमों से आमतौर पर दोस्ताना व्यवहार मिलता है, इसलिए गिल इस आक्रामक माहौल के लिए तैयार नहीं थे और अनिश्चित दिखे।
मांजरेकर ने यह भी संकेत दिया कि गिल ने लॉर्ड्स में अपना आक्रामक रूप शायद इसलिए दिखाया होगा क्योंकि उन्होंने बर्मिंघम में पिछले टेस्ट में 269 और 161 रन की पारी खेली थी। अगर शुभमन गिल में ऐसा जबरदस्त अंदाज होता, तो हम इसे पहले ही देख पाते। कप्तान होने पर आपको इसे दिखाने की जरूरत नहीं होती। यह इसलिए दिखाया गया क्योंकि अब उन्हें टेस्ट मैच जीतने और इतने रन बनाने का आत्मविश्वास आ गया है।
उन्होंने आगे कहा कि विराट कोहली के साथ, आप देख सकते थे कि वह हर मुकाबले के लिए तैयार रहते थे और हर परिस्थिति में वह खुद को ढाल लेते थे। यहां तक कि जब वह कप्तान नहीं थे, तब भी आप उन्हें आगे बढ़ते हुए देख सकते थे। विराट में यह एक ऐसा गुण था जो हमने उनके कप्तान बनने से पहले ही देख लिया था। शुभमन गिल के साथ, मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा।