क्या शिखर धवन हमेशा मुस्कुराते रहते हैं? इरफान पठान ने किया खुलासा

सारांश
Key Takeaways
- शिखर धवन ने अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना किया है।
- उन्होंने हमेशा मुस्कुराते रहकर प्रेरणा दी है।
- धवन की सफलता का राज उनकी सकारात्मक सोच है।
- वह भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं।
- उनकी कहानी हमें कठिनाइयों का सामना करना सिखाती है।
लंदन, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व भारतीय ऑलराउंडर इरफान पठान ने अनुभवी सलामी बल्लेबाज शिखर धवन की सराहना करते हुए उन्हें एक 'योद्धा' करार दिया है।
धवन, जिन्होंने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया, अपने 12 साल के क्रिकेट करियर में भारतीय टीम के शीर्ष क्रम के एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। उन्होंने भारत के लिए 34 टेस्ट, 167 वनडे और 68 टी20 मैचों में 10,867 रन बनाए हैं।
पठान ने लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र प्रेस से कहा, "धवन एक मजेदार इंसान हैं। वह हमेशा मुस्कुराते रहते हैं। चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, वह एक योद्धा हैं। धवन भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 'मिस्टर आईसीसी' भी रह चुके हैं। भारत के लिए खेलते हुए उन्होंने अपना सब कुछ झोंक दिया।"
धवन को एक वनडे स्पेशलिस्ट के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में 90.75 की औसत से 363 रन बनाते हुए भारत को खिताबी जीत दिलाई थी। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने एशिया कप 2014, क्रिकेट विश्व कप 2015, चैंपियंस ट्रॉफी 2017 और एशिया कप 2018 जैसे अन्य टूर्नामेंट्स में भी शानदार प्रदर्शन किया।
पठान ने कहा, "धवन को कई चोटों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कठिन समय देखा है। जब कोई खिलाड़ी इतने संघर्षों के बाद यहां तक पहुंचता है, और अब जब वह भारत के लिए सभी फॉर्मेट्स में 10,000 इंटरनेशनल रन बना चुका है, तो उसे खुद पर गर्व होना चाहिए। हमें उन पर बहुत गर्व है।"
शिखर धवन ने जिंदगी से मिली सीख के बारे में कहा, "सबसे पहले मैंने असफलताओं से निपटना सीखा। क्रिकेट में सफलता से ज्यादा जरूरी है कि आप असफलताओं को कैसे झेलते हैं। शांत दिमाग से, शालीनता के साथ असफलताओं को स्वीकार करना और फिर भी आगे बढ़ते रहना, यही क्रिकेट ने मुझे सिखाया। इसके साथ ही मैंने सीखा कि सकारात्मक कैसे रहा जाए। आपको खुद का सबसे अच्छा दोस्त बनना चाहिए, क्योंकि इंसान सबसे ज्यादा खुद से ही बातें करता है। इसलिए जब चीजें आपके पक्ष में न जा रही हों, तब भी अपने आप से सकारात्मक बातचीत करना बहुत जरूरी है।"