क्या ईशा ग्रामोत्सव 2025 भारत का सबसे बड़ा ग्रामीण खेल महोत्सव होगा?

सारांश
Key Takeaways
- ईशा ग्रामोत्सव 2025 का आयोजन 35,000 गांवों के खेल प्रेमियों द्वारा किया जाएगा।
- यह महोत्सव ग्रामीण खेलों को बढ़ावा देने और सामाजिक बदलाव के लिए महत्वपूर्ण है।
- समापन समारोह 21 सितंबर 2025 को होगा।
- प्रतिस्पर्धी टीमों को 67 लाख रुपये की पुरस्कार राशि मिलेगी।
- महिलाओं की भागीदारी इस महोत्सव का एक प्रमुख पहलू है।
नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत का सबसे बड़ा ग्रामीण खेल महोत्सव, 'ईशा ग्रामोत्सव', का अगला संस्करण व्यापक स्तर पर आयोजित होने जा रहा है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, पुडुचेरी और ओडिशा के 35,000 से अधिक गांवों की 6000 टीमें और 50,000 से ज्यादा खिलाड़ी इस बार इस महोत्सव में भाग लेंगे। इन खिलाड़ियों में 5,000 से अधिक महिलाएं भी शामिल हैं।
इस टूर्नामेंट में पुरुषों की वॉलीबॉल और महिलाओं की थ्रोबॉल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। टीमें क्लस्टर स्तर से शुरू होकर डिवीजन स्तर तक पहुँचेंगी। समापन समारोह 21 सितंबर 2025 को कोयंबटूर के प्रतिष्ठित ईशा योग केंद्र में होगा। फाइनल मुकाबलों में शारीरिक रूप से अक्षम खिलाड़ियों के लिए पैरा वॉलीबॉल का आयोजन भी किया जाएगा।
ईशा ब्रह्मचारी और ईशा ग्रामोत्सव के कोऑर्डिनेटर स्वामी पुलाका ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "2004 में सद्गुरु ने इस आयोजन को प्रोफेशनल खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि किसानों, मछुआरों, दिहाड़ी मजदूरों, गृहिणियों, युवाओं और आम ग्रामीणों के लिए शुरू किया था। टीमें केवल एक ही गांव के खिलाड़ियों से बनती हैं। इससे समुदायों को जोड़ने और स्थानीय गौरव को मनाने का अवसर मिलता है। सभी प्रतिभागियों के लिए पंजीकरण निःशुल्क और अनिवार्य है।"
उन्होंने बताया कि प्रतिस्पर्धी टीमों को 67 लाख रुपये की पुरस्कार राशि जीतने का मौका मिलेगा। इसमें पुरुष और महिला वर्ग के विजेताओं को 5-5 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। अब तक इस महोत्सव में 35,000 से अधिक गांवों के 2 लाख से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया है, जिनमें 38,000 से अधिक महिलाएं शामिल हैं।
ईशा ग्रामोत्सव के बारे में सद्गुरु का कहना है कि यह खेल के माध्यम से जीवन का उत्सव है। खेल वह शक्ति है जो लोगों को सामाजिक भेदभावों से परे एकजुट कर सकती है। खेल की सुंदरता यह है कि वह जाति, धर्म और अन्य पहचानों की सीमाओं को एक आनंदमय उत्सव में विसर्जित कर देता है। यह प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं, बल्कि जीवनभर खेलभावना से जीने के लिए है। अगर आप गेंद को समर्पण और भागीदारों के साथ फेंक सकते हैं, तो वह गेंद दुनिया को बदल सकती है। मेरी कामना है कि आप बेफिक्री से खेलने के आनंद को जानें।
ईशा ग्रामोत्सव ने कई महिलाओं के जीवन को बदलकर रख दिया है। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के थलावैपुरम गांव की 'वासुकी' टीम। यह टीम सात महिलाओं की है, जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है, और इन्होंने विवाह के बाद अपने 30वें वर्ष में थ्रोबॉल खेलना शुरू किया था।
टीम की महिलाएं बताती हैं, "हम छिपकर खेलती थीं, क्योंकि हमारी उम्र में दौड़ना-चिल्लाना अटपटा लगता था। लेकिन ग्रामोत्सव ने सब कुछ बदल दिया। अब हम सैकड़ों लोगों के सामने आत्मविश्वास के साथ खेलती हैं। हमारे गांव की तालियों और हमारी बेटियों की आंखों में जो गर्व था, वह किसी भी ट्रॉफी से कहीं अधिक है।"
भारत की ग्रामीण जनसंख्या में 60 प्रतिशत से अधिक लोग कार्यशील आयु वर्ग के हैं, फिर भी गांवों में अस्थिर और असुरक्षित खेती, सीमित आर्थिक अवसरों और असमान विकास जैसी गंभीर चुनौतियां बनी हुई हैं। इसके परिणामस्वरूप, ग्रामीण युवाओं का एक वर्ग गरीबी और नशे के चक्र में फंस जाता है।
खेल की एकजुटता और ग्रामीण संस्कृति की जीवंत अभिव्यक्ति के माध्यम से, ग्रामोत्सव एक परिवर्तनकारी मंच के रूप में उभरा है। यह नशे की लत को रोकने, जातीय और धार्मिक भेदभाव को तोड़ने, महिलाओं को सशक्त करने और ग्रामीण जीवन में गर्व और दृढ़ता की भावना को पुनर्जीवित करने में मदद कर रहा है।
मैचों के अलावा, यह महोत्सव भारत की जीवंत सांस्कृतिक विरासत का भी उत्सव है, जिसमें नादस्वरम, थविल, पंचारी मेलम, सिलंबम जैसे पारंपरिक कला रूपों के साथ वल्ली-कुम्मी और ओयिलाट्टम जैसे सामूहिक प्रदर्शन शामिल हैं। रंगोली और सिलंबम की सार्वजनिक प्रतियोगिताएं उत्सव के वातावरण को और रंगीन बनाती हैं, जिससे हर मैच एक सामूहिक उत्सव का रूप ले लेता है।
ईशा आउटरीच, जो इस आयोजन को आयोजित कर रहा है, को भारत सरकार के युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय खेल संवर्धन संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त है। खेल दिग्गज जैसे सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, वेंकटेश प्रसाद, ओलंपिक पदक विजेता राजवर्धन सिंह राठौड़ और कर्णम मल्लेश्वरी पहले इस आयोजन के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो चुके हैं। नीरज चोपड़ा, मिताली राज, पीवी सिंधु, शिखर धवन और जवागल श्रीनाथ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने भी ईशा ग्रामोत्सव का समर्थन किया है।