क्या संसद की कार्यवाही पर इतना खर्च होने के बावजूद हमारी बात नहीं सुनी जाएगी?: कांग्रेस सांसद पी. बलराम नायक

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क्या संसद की कार्यवाही पर इतना खर्च होने के बावजूद हमारी बात नहीं सुनी जाएगी?: कांग्रेस सांसद पी. बलराम नायक

सारांश

तेलंगाना के महबूबाबाद के सांसद पी. बलराम नायक ने संसद सत्र के दौरान अपनी बात नहीं सुनने पर सवाल उठाया है। क्या सरकार विपक्ष की आवाज़ों को अनसुना कर रही है? इस मुद्दे पर विस्तार से जानें।

Key Takeaways

  • पी. बलराम नायक ने संसद में अपनी बात नहीं सुनने पर सवाल उठाया।
  • सरकार पर आरोप है कि वह विपक्ष की आवाज़ दबा रही है।
  • सदन की कार्यवाही को स्थगित करने से लोकतंत्र को खतरा हो सकता है।
  • सांसद ने विकास और स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति पर भी चिंता जताई।
  • लोकतंत्र के लिए संवाद और सुनवाई आवश्यक है।

नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना के महबूबाबाद से कांग्रेस सांसद पी. बलराम नायक ने शुक्रवार को संसद सत्र समाप्त होने के बाद सरकार पर तीखा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही पीएम मोदी और गृह मंत्री सदन में आए, कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया। हमें पहले भी अपनी बात रखने का कोई अवसर नहीं मिला।

कांग्रेस सांसद पी. बलराम नायक ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि हम राज्य के मुद्दों को संसद में उठाने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें जीरो ऑवर के दौरान भी अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। सदन की कार्यवाही इस तरह कैसे चल सकती है?

उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं की भी सुनवाई होनी चाहिए। जब हमारी बात नहीं सुनी जाती, तो फिर सदन की कार्रवाई का क्या मतलब रह जाता है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन है कि हमारी बातें सुनी जाएं। इतने खर्च के बाद जब संसद चल रही है, तो हमें क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है?

उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार सदन को स्थगित किया जाता है। हम विपक्ष में हैं, हमें भी अपनी बात कहने का अवसर मिलना चाहिए। सदन की कार्यवाही को सही तरीके से चलना चाहिए। हमारे सामने यात्रा और किसानों से जुड़ी कई समस्याएं हैं। छात्रों की भी समस्याएं हैं, लेकिन हम बोल नहीं सकते। हमारे फंड रोके गए हैं। मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से भी मुलाकात की, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हो रही।

कांग्रेस सांसद पी. बलराम नायक ने कहा कि भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते पर है, हमें इसे मान्यता देनी होगी, लेकिन प्रधानमंत्री हमें अवसर नहीं दे रहे हैं। विकास रुका हुआ है। अस्पतालों की स्थिति ठीक नहीं है। गांवों में सड़कें और पीने का साफ पानी नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था दूसरे या तीसरे नंबर पर आ रही है, यह सिर्फ बातों से नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि हमारा मुद्दा यह है कि शिक्षा क्षेत्र में कितना विकास हुआ है? कृषि में क्या-क्या लाए और क्या भेजा गया? स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या बदलाव हुए हैं? सरकार को अपनी सफलताओं पर संसद में चर्चा करनी चाहिए।

वीबी-जी राम जी पर उन्होंने कहा कि रोजगार का बिल पास कर देने से काम खत्म नहीं होता। गरीबों के लिए रोजगार जरूरी है। जब अंबेडकर जी ने 100 दिन का रोजगार दिया, तो इसका मतलब अपने क्षेत्र में रोजगार मिले, बच्चों को स्कूल भेजें और अन्य तरक्की हो, इसलिए यह नीति लाई गई। देश की तरक्की का सही आकलन करने के लिए गरीबों की स्थिति देखनी चाहिए। जीएसटी लगाकर मकान बनाने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा कि देश में गरीबी बढ़ती जा रही है। अगर कोई मुंबई, केरल या अन्य स्थानों पर जाकर काम करेगा, तो अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएगा? केवल बिल पास करने से कुछ नहीं होता। उनके पास बहुमत है, इसलिए वे कुछ भी पास कर सकते हैं। मनरेगा के लिए कोई बिल आना ही नहीं चाहिए था। यह गरीबों के लिए है, गरीबों की रोटी है। यह भी छिनने की कोशिश की जा रही है।

Point of View

NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

पी. बलराम नायक ने संसद में क्या मुद्दा उठाया?
उन्होंने संसद में अपनी बात नहीं सुनने और सदन की कार्यवाही को स्थगित करने पर चिंता जताई।
क्या सरकार विपक्ष की आवाज़ों को अनसुना कर रही है?
सांसद का कहना है कि सदन में उनकी बातों को सुनने का अवसर नहीं मिल रहा है।
क्या यह मुद्दा लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है?
हां, सभी पक्षों को अपनी बात कहने का अवसर मिलना लोकतंत्र की बुनियाद है।
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