क्या कराटे जापानी मार्शल आर्ट की बढ़ती लोकप्रियता का कारण है?
सारांश
Key Takeaways
- कराटे आत्मरक्षा की एक प्रभावी विधि है।
- यह शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होता है।
- भारत में कराटे की बढ़ती लोकप्रियता दर्शाती है कि युवा खेलों में रुचि ले रहे हैं।
- कुमाइट और काटा कराटे के प्रमुख इवेंट हैं।
- भारत में प्रतिभाशाली कराटे खिलाड़ी हैं जो वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहे हैं।
नई दिल्ली, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जापानी मार्शल आर्ट कराटे में हाथ-पैरों की तेज और नियंत्रित तकनीकों द्वारा आत्मरक्षा की कला सिखाई जाती है, जो शारीरिक फिटनेस, मानसिक एकाग्रता, अनुशासन और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होती है।
जापान में 1429 के आस-पास रयुकू साम्राज्य का गठन हुआ। इसी दौरान, 15वीं शताब्दी में कराटे की शुरुआत हुई।
साल 1905 में ओकिनावा में कराटे को शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम के रूप में शामिल किया गया और 1920 के दशक तक यह पूरे जापान में लोकप्रिय हो गया।
साल 1924 में कीओ विश्वविद्यालय में पहले कराटे क्लब की स्थापना हुई। द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के बाद, इस खेल का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार हुआ। 1949 में जापान कराटे एसोसिएशन का गठन हुआ।
1950 के दशक में कराटे यूनाइटेड किंगडम में फैला। 1960 तक इस खेल ने सोवियत संघ में भी अपनी जड़ें जमा ली थीं, लेकिन बाद में इसे वहाँ बैन कर दिया गया। भारत में 1970 से 1980 के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ी, और 1989 में सोवियत संघ में कराटे को वैध कर दिया गया।
2020 के टोक्यो ओलंपिक में कराटे को पहली बार शामिल किया गया, जिसमें 'कुमाइट' और 'काटा' इवेंट्स थे। कुल 80 खिलाड़ियों (40 पुरुष और 40 महिला) ने इसमें भाग लिया।
हालांकि, 2024 के पेरिस ओलंपिक में कराटे को बाहर रखा गया, और इसे 2028 के लॉस एंजेल्स ओलंपिक में भी शामिल नहीं किया गया है।
'कुमाइट' इवेंट 3 मिनट चलता है, जिसमें खिलाड़ी पंच, स्ट्राइक और किक के जरिए अंक प्राप्त करते हैं।
प्रतिद्वंद्वी के सिर, गर्दन, बाजू, पीठ, पेट या धड़ पर हाथ से प्रहार करने पर 1 अंक मिलता है, जबकि पैर से प्रहार करने पर 2 अंक मिलते हैं। अगर कोई खिलाड़ी हाई किक या मुक्के से प्रतिद्वंद्वी को गिरा देता है, तो उसे 3 अंक मिलते हैं।
जो खिलाड़ी 8 अंकों की बढ़त बना लेता है या प्रतियोगिता के अंत में सर्वाधिक अंक वाला होता है, उसे विजेता घोषित किया जाता है।
अगर मैच बराबरी पर समाप्त होता है, तो अंपायर (हंटेई) के बहुमत से विजेता का फैसला किया जाता है।
दूसरी ओर 'काटा' में, खिलाड़ी पूर्वनिर्धारित मूव्स का एक सेट दर्शाते हैं। इस दौरान जज इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से अंक देते हैं। मूल्यांकन तकनीक की स्पष्टता, ताकत, संतुलन और लय पर आधारित होता है।
हालांकि, भारत ने कराटे में ओलंपिक पदक नहीं जीते हैं, लेकिन यहां प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं है। पिछले वर्षों में, भारतीय खिलाड़ियों ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है।