क्या देहात के अखाड़ों से निकली कुश्ती ने ओलंपिक के मैट पर अपनी छाप छोड़ी?

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क्या देहात के अखाड़ों से निकली कुश्ती ने ओलंपिक के मैट पर अपनी छाप छोड़ी?

सारांश

भारत की कुश्ती का सफर मिट्टी के अखाड़ों से ओलंपिक तक का है। यह खेल न केवल ताकत बल्कि संस्कृति का प्रतीक भी है। जानिए कैसे भारत ने इस खेल में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।

Key Takeaways

  • कुश्ती का इतिहास महाभारत से जुड़ा है।
  • भारत में महिला कुश्ती का विकास तेजी से हो रहा है।
  • कुश्ती ने भारत को कई ओलंपिक पदक दिलाए हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कुश्ती की पहचान मजबूत है।
  • युवा पहलवानों के लिए अवसर बढ़ रहे हैं।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्राचीन और अत्यंत प्रिय खेल कुश्ती के प्रमाण महाभारत और रामायण काल से मिलते हैं, जिनकी जड़ें देहात के अखाड़ों में गहरी हैं। यह खेल पहलवानों को पारंपरिक मिट्टी के दंगल से अंतरराष्ट्रीय मंच के मैट तक ले जाने में सफल रहा है, और भारत का इस खेल में एक खास स्थान है।

लगभग 7,000 ईसा पूर्व कुश्ती ने वैश्विक स्तर पर मार्शल आर्ट के रूप में अपनी पहचान बनाई। भारत में इसे मल्ल युद्ध कहा गया, जिसका अर्थ है बिना किसी अस्त्र के केवल हाथों से लड़ा जाने वाला मुकाबला।

एक समय था जब कुश्ती शक्ति का प्रदर्शन और मनोरंजन का साधन बनकर उभरी। राजा-महाराजा इस खेल का आयोजन करते थे। उत्तर भारत में इसे दंगल, कुश्ती और पहलवानी के नाम से जाना जाता है।

जब यूरोप में इसे सॉफ्ट मैट पर खेला जा रहा था, तब भारत में मिट्टी के अखाड़ों में इसका अभ्यास जारी था। इस खेल को फिट रहने का एक तरीका भी माना जाता था, और विजेता पहलवानों को पुरस्कार भी दिए जाते थे ताकि उन्हें प्रोत्साहन मिल सके।

साल 1930 में पेशेवर कुश्ती की शुरुआत हुई। इसी समय फ्रांसीसी प्रभाव के चलते ग्रीको-रोमन शैली का विकास हुआ।

साल 1904 में सेंट लुइस में आयोजित ओलंपिक में फ्रीस्टाइल कुश्ती को शामिल किया गया। इसके बाद, 1908 में भी यह खेल ओलंपिक का हिस्सा रहा। इसी दौरान भारत के गुलाम मोहम्मद बख्श उर्फ 'गामा पहलवान' जैसे महान पहलवान का उदय हुआ, जिन्होंने अपने पांच दशक के करियर में एक भी मैच नहीं गंवाया। 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद गामा लाहौर में बस गए।

खाशाबा दादासाहेब जाधव ने 1948 में लंदन में अपने ओलंपिक डेब्यू के दौरान मिट्टी पर कुश्ती लड़ी। उन्होंने 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में बैंटमवेट वर्ग में भारत को ब्रॉन्ज मेडल

इसके बाद उदय चंद, बिशंबर सिंह, करतार सिंह, मारुति माने, सतपाल सिंह, राजेंद्र सिंह जैसे पहलवानों ने भारत को इस खेल में पहचान दिलाई, लेकिन भारत को कुश्ती में अगला ओलंपिक पदक पाने के लिए 56 वर्षों का इंतजार करना पड़ा।

इस बीच, 2006 में अलका तोमर विश्व चैंपियनशिप मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बनीं। उनके नक्शेकदम पर चलते हुए गीता फोगाट, बबीता फोगाट, विनेश फोगाट, और साक्षी मलिक जैसी महिला रेसलर भी सामने आईं।

आखिरकार, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार ने भारत के लिए इस सूखे को समाप्त करते हुए 66 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

2012 में लंदन ओलंपिक में सुशील कुमार ने एक बार फिर मेडल जीता, इस बार सिल्वर मेडल के साथ। इसी ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने भारत को ब्रॉन्ज दिलाया।

2016 में साक्षी मलिक एकमात्र सफल भारतीय रहीं, जिन्होंने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया, और वह ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बनीं।

2020 के टोक्यो ओलंपिक में रवि कुमार दहिया ने सिल्वर मेडल, जबकि बजरंग पुनिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2024 के पेरिस ओलंपिक में अमन सहरावत ने भी ब्रॉन्ज मेडल के साथ अपने नाम किया।

मिट्टी के अखाड़े से निकलकर ओलंपिक के मैट पर मेडल जीतने वाले इन पहलवानों ने वैश्विक स्तर पर कुश्ती के खेल में भारत की ताकत को दिखाया है। इन्हीं से प्रेरित होकर हजारों युवा आज भी इस खेल में अपना करियर बनाने की ख्वाहिश रखते हैं।

भारत में प्रतिभाशाली युवा पहलवानों की कोई कमी नहीं है। आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं और खेल नीतियों में सुधार के कारण इन पहलवानों को बेहतर अवसर मिल रहे हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इस खेल में भारत का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है।

Point of View

बल्कि एक संस्कृति है। यह खेल हमारे देश की विरासत और परंपराओं को दर्शाता है। हमें इस खेल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसे अपनाएं और अपनी पहचान बनाएं।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

कुश्ती का इतिहास क्या है?
कुश्ती का इतिहास महाभारत और रामायण काल से जुड़ा है, और इसे भारत में मल्ल युद्ध के नाम से जाना जाता है।
भारत में कुश्ती में किसका योगदान है?
भारत में कुश्ती के विकास में गामा पहलवान, केडी जाधव, सुशील कुमार जैसे महान पहलवानों का योगदान है।
महिला कुश्ती में भारत की स्थिति क्या है?
भारत में महिला कुश्ती में अलका तोमर, गीता फोगाट, साक्षी मलिक जैसी पहलवानों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है।
कुश्ती में भारत को कब पहला ओलंपिक पदक मिला?
भारत को कुश्ती में पहला ओलंपिक पदक 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में मिला।
कुश्ती में भारत का भविष्य कैसा है?
भारत में कुश्ती का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि युवा पहलवान आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।