क्या मलखंभ: मराठा योद्धाओं की ताकत बनी यह कला, जिसने ओलंपिक मंच तक बनाई पहचान?
सारांश
Key Takeaways
- मलखंभ भारतीय खेलों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- यह खेल संतुलन और ताकत का अद्भुत संयोजन है।
- भारत में मलखंभ को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है।
- मलखंभ के तीन प्रकार हैं: पोल, रोप, और हैंगिंग।
- ओलंपिक में इसे प्रदर्शित किया जा चुका है।
नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के पारंपरिक खेल ‘मलखंभ’ में खिलाड़ी लकड़ी के खंभे या रस्सी पर योगासन, ताकत और संतुलन का प्रदर्शन करते हैं। मलखंभ भारतीय खेल विरासत की एक अनमोल धरोहर है, जो शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी के साथ-साथ खिलाड़ी की एकाग्रता और आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
मलखंभ शब्द 'मल्ल' यानी 'पहलवान' और 'खंभ' यानी 'खंभा' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है 'पहलवान का खंभा'।
मलखंभ का खेल १२वीं शताब्दी में महाराष्ट्र से जुड़ा है। ११३५ ई. में लिखे गए चालुक्य राजाओं के ग्रंथ 'मानसोल्लास' में भी इसका उल्लेख मिलता है, जहां पहलवानों को प्रशिक्षित करने के लिए इसे खेला जाता था।
१६०० के दशक के अंत से १८०० के दशक की शुरुआत तक मलखंभ का खेल कुछ हद तक निष्क्रिय रहा।
१८वीं सदी में बलमभट्ट दादा देवधर ने इस खेल को पुनर्जीवित किया और रानी लक्ष्मीबाई ने भी इसे सीखा। यह कला 'गुरिल्ला युद्ध' में उपयोगी साबित हुई।
१९५८ में दिल्ली में आयोजित नेशनल जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में इस खेल का प्रदर्शन किया गया। १९६२ में पहली बार नेशनल मलखंभ चैंपियनशिप आयोजित की गई, जिसके बाद साल १९८१ में 'मलखंभ फेडरेशन ऑफ इंडिया' की स्थापना हुई। इसके बाद नियमों को भी औपचारिक रूप दिया गया।
मलखंभ भले ही अभी तक ओलंपिक में मेडल इवेंट के तौर पर शामिल नहीं किया गया, लेकिन १९३६ बर्लिन ओलंपिक में इसे एग्जीबिशन गेम के तौर पर शामिल किया गया था। उस समय मलखंभ उन भारतीय खेलों में से एक था, जिसमें अन्य देशों ने भी हिस्सा लिया था। यही वजह रही कि इस खेल का प्रसार दूसरे देशों में भी हुआ।
साल २०१९ में पहली बार मलखंभ वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन किया गया, जिसमें १५ देशों के १५० से ज्यादा एथलीट्स ने हिस्सा लिया। १९२८ ओलंपिक गेम्स में भी इस खेल को प्रदर्शनी खेल में शामिल किया गया। मलखंभ तीन प्रकार के होते हैं, पोल मलखंभ, रोप मलखंभ और हैंगिंग मलखंभ।
‘पोल मलखंभ’ एक पारंपरिक रूप है, जिसमें एथलीट्स २.६ मीटर की ऊंचाई वाले लकड़ी के खंभे पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। ‘रोप मलखंभ’ में प्रतियोगी ५.५ मीटर लंबी और २ सेंटीमीटर चौड़ी रस्सी की मदद से अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं, जबकि ‘हैंगिंग मलखंभ’ में एक छोटा सा पोल जंजीर के सहारे लटका होता है।
इन प्रतियोगिताओं में एथलीट को पोल या रस्सी के सहारे अपनी कला का प्रदर्शन करना होता है। प्रतियोगिता को मुख्य रूप से ५ श्रेणियों में आंका जाता है, जिसमें माउंटिंग, कैच, एक्रोबेटिक्स, डिसमाउंटल और बैलेंस शामिल हैं। जज एथलीट के कौशल के आधार पर उन्हें अंक देते हैं। उच्चतम स्कोर वाले एथलीट को विजेता घोषित किया जाता है।
मलखंभ के खेल में भारत विश्व में अग्रणी है, जिसमें इस देश का दबदबा रहा है। हाल के वर्षों में सरकार और खेल संस्थाओं के प्रयास से मलखंभ को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। इसे ओलंपिक स्तर तक पहुंचाने की दिशा में भी पहल जारी है। अगर यह खेल ओलंपिक में शामिल होता है, तो इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को ही मिलता नजर आता है।