क्या मिहिर सेन, तैरकर डारडनेल्स जलडमरूमध्य पार करने वाले विश्व के पहले व्यक्ति हैं?

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क्या मिहिर सेन, तैरकर डारडनेल्स जलडमरूमध्य पार करने वाले विश्व के पहले व्यक्ति हैं?

सारांश

मिहिर सेन का नाम तैराकी में अद्वितीय उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। उन्होंने डारडनेल्स जलडमरूमध्य को पार कर केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में तैराकी के क्षेत्र में एक नया मुकाम स्थापित किया। जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी।

Key Takeaways

  • मिहिर सेन ने 1966 में डारडनेल्स जलडमरूमध्य पार किया।
  • उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे सम्मान प्राप्त हैं।
  • उन्होंने इंग्लिश चैनल को पार करने में 14 घंटे और 45 मिनट लिए।
  • मिहिर सेन का जन्म 16 नवंबर, 1930 को हुआ था।
  • उनका निधन 11 जून, 1997 को हुआ।

नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। तैराकी के क्षेत्र में भले ही ओलंपिक और कॉमनवेल्थ में भारतीय टीम अपनी पहचान नहीं बना पाई है, लेकिन तैराकी भारत का एक प्राचीन खेल है। इस खेल में भारतीयों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिनमें मिहिर सेन का नाम सबसे प्रमुख है।

मिहिर सेन का जन्म 16 नवंबर, 1930 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुआ। वह एक वकील थे, लेकिन उनके तैराकी के प्रति जुनून ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। 36 वर्ष की आयु में, उन्होंने 12 सितंबर, 1966 को डारडनेल्स जलडमरूमध्य को तैरकर पार किया, जिससे वह इस जलडमरूमध्य को पार करने वाले पहले व्यक्ति बने। यह उपलब्धि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक रही।

मिहिर सेन की उपलब्धियाँ यहीं समाप्त नहीं होतीं। उन्होंने 27 सितंबर, 1958 को 14 घंटे और 45 मिनट में इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया, जिससे वह पहले भारतीय और एशियाई बने। वह विश्व के पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने पांच महाद्वीपों के सभी समुद्रों को तैरकर पार किया।

इंग्लिश चैनल, जो अटलांटिक महासागर का एक हिस्सा है, ग्रेट ब्रिटेन द्वीप को उत्तरी फ्रांस से अलग करता है। इसकी लंबाई 563 किलोमीटर और चौड़ाई 240 किलोमीटर है। मिहिर सेन ने 1966 में पाक जलडमरूमध्य को भी तैरकर पार किया, जो 40 मील लंबा है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने जिब्राल्टर जलडमरूमध्य को भी तैरकर पार किया, जो मोरक्को और स्पेन के बीच स्थित है।

भारत सरकार ने मिहिर सेन की अद्वितीय उपलब्धियों को मान्यता दी और उन्हें 1959 में पद्मश्री और 1967 में पद्मभूषण से सम्मानित किया।

मिहिर सेन आज भी लंबी दूरी की तैराकी करने वालों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका निधन 11 जून, 1997 को कोलकाता में 66 वर्ष की आयु में हुआ।

Point of View

मिहिर सेन के योगदान को देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने भारतीय तैराकी को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया। उनकी उपलब्धियाँ न केवल व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक हैं, बल्कि यह पूरे देश के लिए गर्व का विषय हैं।
NationPress
11/09/2025

Frequently Asked Questions

मिहिर सेन ने कब डारडनेल्स जलडमरूमध्य पार किया?
उन्होंने 12 सितंबर, 1966 को डारडनेल्स जलडमरूमध्य पार किया।
मिहिर सेन को कौन-कौन से सम्मान प्राप्त हुए?
उन्हें 1959 में 'पद्मश्री' और 1967 में 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया।
मिहिर सेन का जन्म कब हुआ था?
उनका जन्म 16 नवंबर, 1930 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुआ था।
क्या मिहिर सेन ने इंग्लिश चैनल पार किया?
हाँ, उन्होंने 27 सितंबर, 1958 को इंग्लिश चैनल को पार किया।
मिहिर सेन का निधन कब हुआ?
उनका निधन 11 जून, 1997 को कोलकाता में हुआ।