क्या पीएम मोदी ने धावक फौजा सिंह के निधन पर दुख व्यक्त किया?

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क्या पीएम मोदी ने धावक फौजा सिंह के निधन पर दुख व्यक्त किया?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के सबसे वृद्ध मैराथन धावक फौजा सिंह के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। जानें उनके जीवन की प्रेरणादायक कहानी और समाज में उनके योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • फौजा सिंह का जीवन प्रेरणादायक है।
  • उम्र केवल एक संख्या है, फौजा ने इसे साबित किया।
  • उन्होंने भारत के युवाओं को प्रेरित किया।
  • उनकी उपलब्धियां विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं।
  • हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए।

नई दिल्ली, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विश्व के सबसे वृद्ध मैराथन धावक फौजा सिंह के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया। पीएम मोदी ने कहा कि मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "फौजा सिंह एक अद्वितीय व्यक्ति थे। उन्होंने अपने अनोखे व्यक्तित्व और फिटनेस जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत के युवाओं को प्रेरित किया। वे एक उत्कृष्ट एथलीट थे जिनकी दृढ़ इच्छाशक्ति अद्भुत थी। उनके निधन से मुझे गहरा दुःख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के साथ हैं।"

प्रसिद्ध एथलीट और सबसे वृद्ध मैराथन धावक फौजा सिंह का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। 114 वर्षीय फौजा सोमवार सुबह टहलने निकले थे, तभी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी। इस हादसे के बाद चालक मौके से भाग निकला।

गंभीर रूप से घायल फौजा सिंह को तुरंत जालंधर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

जैसे ही हादसे की सूचना मिली, जालंधर पुलिस ने जांच शुरू कर दी। पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और फरार चालक की तलाश के लिए सीसीटीवी फुटेज का अध्ययन किया और गवाहों से भी पूछताछ की।

फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के जालंधर जिले के ब्यास पिंड में हुआ था। चार भाई-बहनों में सबसे छोटे फौजा बचपन में शारीरिक रूप से कमजोर थे और पांच साल की उम्र तक चल नहीं पाते थे, लेकिन उन्होंने अपनी असाधारण इच्छाशक्ति से इस कमी को अपनी ताकत बना लिया। बचपन से दौड़ने का शौक रखने वाले फौजा पर 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन का गहरा असर पड़ा।

उन्होंने 100 वर्ष की आयु में 2011 में टोरंटो मैराथन को 8 घंटे, 11 मिनट और 6 सेकंड में पूरा करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। वे दुनिया के पहले 100 वर्षीय मैराथन धावक बने, जिसने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई।

Point of View

फौजा सिंह का जीवन हमें यह सिखाता है कि उम्र केवल एक संख्या है। उनकी जीवन यात्रा ने हमें प्रेरित किया है कि कठिनाइयों का सामना कैसे करना चाहिए। हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए और उनके योगदान को याद रखना चाहिए।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

फौजा सिंह का जन्म कब हुआ?
फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के जालंधर जिले में हुआ था।
फौजा सिंह ने किस उम्र में मैराथन दौड़ी?
फौजा सिंह ने 100 वर्ष की आयु में टोरंटो मैराथन दौड़ी।
फौजा सिंह का निधन कैसे हुआ?
फौजा सिंह का निधन एक सड़क दुर्घटना में हुआ।
पीएम मोदी ने फौजा सिंह के बारे में क्या कहा?
पीएम मोदी ने फौजा सिंह को एक असाधारण व्यक्ति बताया और उनके परिवार को संवेदनाएं भेजी।
फौजा सिंह की उपलब्धियों में क्या खास है?
फौजा सिंह दुनिया के पहले 100 वर्षीय मैराथन धावक बने।