क्या प्रो कबड्डी लीग ने 'मिट्टी' से जुड़े खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई?

सारांश
Key Takeaways
- प्रो कबड्डी लीग ने कबड्डी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
- यह खेल ग्रामीण और शहरी दोनों समुदायों में लोकप्रिय हो गया है।
- कबड्डी का समृद्ध इतिहास लगभग 4000 वर्ष पुराना है।
- इस खेल में तकनीक और रणनीति का महत्व बढ़ा है।
- लीग ने खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल), जो 2014 में शुरू हुई, ने कबड्डी के इस देशी खेल को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस खेल का गौरवमयी इतिहास लगभग 4 हजार वर्ष पुराना है। भारत में, यह खेल मुख्यतः ग्रामीण समुदायों में काफी प्रचलित है। यही कारण है कि आज भी मिट्टी से निकले कबड्डी खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं।
कुछ लोग इस खेल को अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की चक्रव्यूह में एंट्री से जोड़ते हैं, जिसने चक्रव्यूह को तो भेदा, लेकिन बाहर नहीं निकल पाया। यह ठीक उसी तरह है जैसे एक रेडर जब विरोधी टीम के क्षेत्र में जाता है और पकड़ा जाता है।
बर्लिन ओलंपिक 1936 में कबड्डी को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया था। 1951 में, इसे एशियन गेम्स में प्रदर्शनी खेल के तौर पर शामिल किया गया। अंततः 1990 में एशियन गेम्स में इसे स्थायी मेडल गेम के रूप में मान्यता मिली।
आज कबड्डी का खेल पूरी तरह से बदल चुका है। खिलाड़ी अब पूरी तरह से तकनीक और रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। आधुनिक कोचिंग ने भी खिलाड़ियों के प्रदर्शन को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
पुरुषों की कबड्डी प्रतियोगिताएं आमतौर पर 40 मिनट (20 मिनट के दो हाफ) तक चलती हैं, जिसमें मैट की लंबाई 13 मीटर और चौड़ाई 10 मीटर होती है, जबकि महिलाओं के लिए मैट की लंबाई 12 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर होती है। प्रत्येक हाफ में, हर टीम को दो टाइम-आउट की अनुमति होती है।
कबड्डी मैट पर चार आउटर लाइन होती हैं, जिसे 'सीमा रेखा' कहा जाता है। खेल इसी सीमा रेखा के अंदर खेला जाता है। आयताकार कोर्ट के मध्य में एक रेखा इसे दो भागों में बांटती है। मैट पर 'बैक लाइन' 3.75 मीटर की दूरी पर है, और 'बोनस लाइन' बैक लाइन से 1 मीटर आगे होती है।
कबड्डी खेल में कुल सात खिलाड़ी होते हैं, जबकि बेंच पर 3-5 सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी भी होते हैं। हर रेड के लिए 30 सेकंड का समय निर्धारित है। यदि किसी टीम की लगातार तीसरी रेड खाली होती है, तो रेडर को आउट घोषित किया जाता है।
कबड्डी के खेल में एंकल होल्ड, टो टच, डुबकी और फ्रॉग जंप जैसे शब्दावली का उपयोग किया जाता है। प्रो कबड्डी लीग जैसे पेशेवर लीग का इस खेल पर स्पष्ट प्रभाव पड़ा है, जिसमें भारतीय और विदेशी दोनों खिलाड़ियों को शामिल किया गया है। इससे कबड्डी को वैश्विक पहचान मिली है।
तकनीक, ताकत और रणनीति का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए खिलाड़ियों को इस लीग के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच मिला है।
इस लीग के लाइव मुकाबले और व्यापक कवरेज ने इस खेल को हर घर तक पहुंचाया है। अब ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों के बच्चे भी इस खेल को अच्छे से समझते हैं। इस लीग के जरिए युवाओं के बीच कबड्डी की लोकप्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
12 टीमों वाली प्रो कबड्डी लीग के रोमांचक खेल ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। टीवी, सोशल मीडिया और ब्रांडिंग ने इस खेल की छवि को निखारा है। इस लीग ने खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत किया है। स्थायी वेतन और पुरस्कारों ने इस खेल को अधिक पेशेवर बना दिया है।